उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में विधायकों ने पानी की तरह बहाया पैसा

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कांग्रेस की अपेक्षा बीजेपी के विधायक खर्च के मामले में सबसे आगे रहे।

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों द्वारा किए गए खर्च की डिटेल सामने आ गई है।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने प्रदेश के 65 विधायकों के साल 2022 के चुनावी खर्च पर रिपोर्ट जारी की है। चुनाव में सबसे ज्यादा खर्च करने के मामले में पिथौरागढ़ के विधायक मयूख महर टॉप पर रहे। इन्होंने चुनाव में सबसे ज्यादा खर्च किया है, जबकि मंगलौर के विधायक सरवत करीम अंसारी ने सबसे कम खर्च किया है। बीजेपी विधायकों की अपेक्षा कांग्रेस के विधायक खर्च के मामले में पीछे रहे। स्टार प्रचारकों पर हुए खर्च के मामले में बीजेपी के 43 विधायक पहले, कांग्रेस के 19 विधायक दूसरे और बसपा के दो विधायक तीसरे नंबर पर रहे। बीजेपी विधायकों ने स्टार प्रचारकों पर औसतन 1.82 लाख, कांग्रेस के 19 विधायकों ने औसतन 72 हजार और बसपा के दो विधायकों ने औसत 16.50 हजार रुपये खर्च किए हैं। प्रचार सामग्री पर बीजेपी ने औसत पांच लाख से ऊपर, कांग्रेस विधायकों ने चार लाख से ऊपर, बसपा विधायकों ने तीन लाख से ऊपर और निर्दलीय विधायक ने चार लाख से ऊपर खर्च किया है

स्टार प्रचारकों के बिना बीजेपी के 43 विधायकों ने बैठकों-जुलूसों पर औसत 5.50 लाख, कांग्रेस के विधायकों ने औसत 3.40 लाख, और बसपा के विधायकों ने औसत 1.72 लाख रुपये खर्चे। निर्दलीय विधायक ने औसत 1.91 लाख रुपये खर्च किए। 29 लाख से ऊपर खर्च करने वाले विधायकों की बात करें तो रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा ने 32 लाख से ऊपर, अरविंद पांडेय ने 31 लाख से ऊपर, भीमताल विधायक राम सिंह कैड़ा ने 30 लाख से ऊपर, हल्द्वानी के कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश, देवप्रयाग के बीजेपी विधायक विनोद कंडारी, काशीपुर के बीजेपी विधायक त्रिलोक सिंह चीमा ने औसत 30 लाख से ऊपर खर्च किया। मसूरी के बीजेपी विधायक गणेश जोशी ने औसत 29 लाख से ऊपर खर्च किए। 15 लाख तक खर्च करने वालों में बीजेपी विधायक सरिता आर्य, डीडीहाट विधायक बिशन सिंह चुफाल, केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत, लोहाघाट विधायक कुशल सिंह अधिकारी, कपकोट के विधायक सुरेश गडिया ,रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ, नरेंद्रनगर विधायक सुबोध उनियाल और यमकेश्वर विधायक रेनू बिष्ट शामिल हैं। दान की बात करें तो कांग्रेस को बीजेपी के मुकाबले ज्यादा दान मिला है। कांग्रेस को जहां औसत 73.05 प्रतिशत दान मिला तो वहीं बीजेपी को 70.72 प्रतिशत दान मिला।

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