जोशीमठ की तरह विश्व प्रसिद्व पर्यटन नगरीय नैनीताल भी खतरे में, हरे भरे बांज के जंगलों का सफाया

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नैनीताल के बलिया नाला में कई दशकों से भूस्खलन हो रहा है. इसके बावजूद भी सरकार इस क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को रोकने में असफल रही है. बलिया नाला क्षेत्र को नैनीताल का बुनियाद माना जाता है. इसके अलावा मॉल रोड, भवाली रोड, ठंडी सड़क, डोरोथी सीट, नैनी और चाइना पीक की पहाड़ियों समेत अन्य जगहों पर लंबे समय से भू-धंसाव हो रहा है. जिससे नैनीताल के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है

ये नैनीताल का कंकरीट का जंगल

नैनीताल । जोशीमठ की तरह नैनीताल की सड़कें और पहाड़ियां भी दरक रही हैं। शहर में दर्जनभर स्थान ऐसे हैं, जहां 6 इंच तक चौड़ी दरारें पड़ चुकी हैं। नैनीताल में बांज के जंगलों का सफयाकर कंकरीट के जंगल बना दिए है जो अब विश्व पयर्टन नगरीय खतरे में है जिला प्रशासन व नैनीताल प्राधिकरण के अधिकारियों के यहां नगर के लोगों ने बांज के जंगलों को काटने के विरोध में धरना दिया लेकिन अधिकारी राजनैतिक दबाब में आकर कुछ भी नहीं कर पाए अब खतरे की घंटी बज चुकि है।
नैनीताल में 80 के दशक से ही लैंडस्लाइड, भू-धंसाव व भू-कटाव की घटनाएं सामने आ रही हैं। साल 2018 में बलियानाला में भारी भू-स्खलन के कारण अब तक 100 मीटर
2018 में बलियानाला में भारी भू-स्खलन के कारण अब तक 100 मीटर से अधिक का एरिया समाप्त हो गया। शहर के मालरोड के साथ ही भवाली मार्ग व स्टेनले क्षेत्र में कई स्थानों पर 20 मीटर तक लंबी दरारें उभर आईं। भू-वैज्ञानिकों ने नैनीताल में दर्जन भर ऐसे स्पॉट चिन्हित किए हैं, जहां लगातार जमीन धंस रही है।
भू-वैज्ञानिकों ने नैनीताल में दर्जन भर संवेदनशील जगहों को चिन्हित कर सरकार को इन जगहों पर निर्माण कार्य रोकने और ट्रीटमेंट कार्य शुरू करने की सलाह दी सरकार की ओर से इन सलाहों की अनदेखी जारी है। ऐसे में अगर समय रहते हुए ट्रीटमेंट कार्य शुरू नहीं किया गया तो नैनीताल का हश्र भी जोशीमठ की तरह होना तय है।

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