मैक्स अस्पताल के चिकित्सकों ने 26 वर्षीय तन्मय चौहान को नया जीवन दिया है। तन्मय कोरोना संक्रमण से मुक्त होने के बाद फेफड़े के गंभीर निमोनिया से जूझ रहे थे। वह अस्पताल में 60 दिन तक भर्ती रहे। अस्पताल की मल्टीडिसप्लनेरी टीम ने उनका इलाज किया।
देहरादून। मैक्स अस्पताल के चिकित्सकों ने 26 वर्षीय तन्मय चौहान को नया जीवन दिया है। तन्मय कोरोना संक्रमण से मुक्त होने के बाद फेफड़े के गंभीर निमोनिया से जूझ रहे थे। वह अस्पताल में 60 दिन तक भर्ती रहे। अस्पताल की मल्टीडिसप्लनेरी टीम ने उनका इलाज किया।
जानकारी के अनुसार, तन्मय 49 दिन तक आइसीयू में और 36 दिन तक वेंटिलेटर सपोर्ट पर रहे। पोस्ट कोविड लक्षणों के अलावा उन्हें गंभीर रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम, रीनल फेल्योर और सेप्सिस जैसी समस्या भी थी। इस वजह से उन्हें मैकेनिकल वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ी। अस्पताल के पल्मोनोलाजी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डा. पुनीत त्यागी के मुताबिक इतनी कम उम्र होने के बावजूद तन्मय को एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम हो गया। उनका एक फेफड़ा भी रप्चर हो गया था।मरीज की आक्सीजन की आवश्यकता लगातार बढ़ रही थी। इस कारण उन्हें बीती 28 अप्रैल को आइसीयू में एनआरबीएम यानी नान रिब्रीदर मास्क सपोर्ट पर रखा गया। मरीज का सैचुरेशन लेवल लगातार घटता जा रहा था। ऐसे में उन्हें पूरी तरह से मैकेनिकल वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। बाद में उन्हें सेकेंडरी बैक्टीरियल निमोनिया और राइट न्यूमोथोरैक्स हो गया, जिससे उनके एक फेफड़े के चारों ओर हवा भर गई। इसके बाद आइसीडी इंटरकोस्टल ड्रेनेज ट्यूब डाली गई।क्रिटिकल केयर के कंसल्टेंट डा. शांतनु बेलवाल ने बताया कि मरीज को उचित एंटीमाइक्रोबियल सपोर्ट के साथ नियमित निगरानी की गई। कोविड निमोनिया होने के कारण मरीज के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव आता रहा। चिकित्सकों के निरंतर प्रयास के साथ मरीज भी दृढ़ इच्छाशक्ति वाला था। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद तन्मय ने अपनी दैनिक गतिविधियां फिर शुरू कर दी हैं।