मानसून खत्म होते ही शुरू हो सकती है तीसरी लहर
देहरादून । हवा की आद्रता (नमी), जनसंख्या घनत्व (भीड़) और कोरोना के नए उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) पर टिका है, इस वायरस के संक्रमण की रफ्तार या संभाव्य लहर का विश्लेषण। जिला चिकित्सालय (कोरोनेशन अस्पताल) के वरिष्ठ फिजीशियन डा. एनएस बिष्ट के अनुसार विज्ञानी तथ्य है कि वायु में आद्रता बढ़ने के साथ वायरस का बाहरी आवरण कमजोर पड़ जाता है। ऐसे में एरोसोल या वायु कणों पर आधारित संक्रमण में कमी आना तय है, लेकिन मानसून से बढ़ी नमी का यह लाभ तभी तक है, जब तक भीड़भाड़ कम है। जैसे ही जनसंख्या घनत्व बढ़ता है, वैसे ही संक्रमण में तेजी आने लगती है।
डा. बिष्ट का कहना है कि ऐसे में मानसून के धीमा पड़ते ही जब हवा सूखी और ठंडी होगी तो वायु कणों से होने वाले संक्रमण की दर बढ़ जाएगी। उसपर अगर नए प्रकार का वायरस भी पनपता है तो तीसरी लहर आने में देर नहीं लगेगी। इसके अलावा जांच या परीक्षण की दर और टीकाकरण भी इससे जुड़े हुए हैं। भारत जैसे विशालकाय देश में टीकाकरण सबसे महत्वपूर्ण होने वाला है। जहां पूर्ण टीकाकरण (दोनों खुराक) सिर्फ 5.5 प्रतिशत जनसंख्या का ही हो पाया है। इसमें पहली खुराक का 23 प्रतिशत का आंकड़ा जोड़ दें तो भी लगभग 28.5 प्रतिशत लोग ही टीकाकरण के दायरे में हैं।
उन्होंने कहा कि टीकाकरण कैसे द्रुतगति के साथ आगे बढ़े, यह नीति नियंतकों को लगातार सोचना होगा। लक्षित समूहों की टेस्टिंग के साथ 18-45 वर्ष में टीकाकरण को वरीयता दी जाए। साथ ही ठेले वाले, दुकानदार, दूध वाले, आटो और टैक्सी ड्राइवर, होटल व रेस्टोरेंट के कर्मचारी, बैंक, सचिवालयकर्मी और भोजन व अन्य सामान की डिलीवरी करने वालों का विशेष तौर पर टीकाकरण हो। वैक्सीन में इस तरह के कम संसाधन वाले व्यक्तियों को वरीयता देने से तीसरी लहर को रोकना संभव है।
उन्होंने कहा कि जांच की दर में कमी आना और भी चिंताजनक है, क्योंकि सामान्य जीवन और रोजगार को सुचारू करने की जरूरत के बीच भीड़भाड़ वाली जगहों से संक्रमण की लहर बनने का जोखिम भी है। कुछ जगहों पर अनिवार्य कोरोना परीक्षण असुविधाजनक तो है, लेकिन तीसरी लहर को रोकने के लिए जरूरी है। अस्पताल, सामाजिक समारोह, घनी बस्तियां ऐसी जगह हैं, जो संक्रमण के केंद्र बनकर उभर सकते हैं। दूसरी लहर की भयावहता के बाद भी कोविड गाइडलाइन का पालन न करना चौंकाने वाला है। ऐसे में जागरूकता के माध्यमों का लगातार सक्रिय रहना भी जरूरी है।