आपदा के 10 दिन बाद 200 से ज्यादा सड़कें बंद, कई गांवों में बिजली नहीं

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ल्द्वानी । पूरे उत्तराखंड में भारी बारिश और भूस्खलन के प्रकोप के बाद उत्तराखंड में व्यापक असर देखा जा रहा है. चार धाम यात्रा समेत कुछ प्रमुख रास्ते तो बहाल किए गए हैं, लेकिन सबसे ज़्यादा आफत ग्रामीण क्षेत्रों की बनी हुई है. कैसे भारत-चीन बॉर्डर को जोड़ने वाली तीनों घाटियों के रास्ते बंद पड़े हैं और कैसे यहां के लोग चार महीने का संकट झेलने के बाद फिर एक बार मुसीबत में हैं. अब अपडेट ये है कि राज्य में 200 से ज़्यादा रास्ते अब तक बाधित हैं, जिससे जनजीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त है.

उत्तराखंड में आफत की बारिश के बाद एक तरफ जहां 75 से ज़््यादा मौतें हुईं, वहीं इन्फ्रास्ट्रक्चर को खासा नुकसान हुआ. राज्य में कम से कम 200 सड़कें अब भी बंद हैं. इनमें से ज़्यादातर सड़कें ग्रामीण इलाकों की हैं और इनके ठप होने से लोग अलग थलग हो जाने के संकट को झेल रहे हैं. इन इलाकों का संपर्क बाज़ारों और मुख्य रास्तों से कट चुका है. उत्तराखंड में भारी बारिश और भूस्खलन के बाद बने हालात को लेकर राज्य सरकार ने जो डेटा जारी किया है, उसके मुताबिक ये रास्ते अब भी बंद हैं.

उत्तराखंड की आपदा में सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िले नैनीताल की 22 राज्य सड़कें और 14 ग्रामीण सड़कें ठप हैं यानी यहां वाहनों की कोई आवाजाही नहीं है. अन्य सड़कें भूस्खलन के चलते मलबा आ जाने के कारण बंद बताई जाती हैं. ऐसी सड़कों में अल्मोड़ा की 11 ग्रामीण सड़कें शामिल हैं तो चंपावत में 2 राज्य मार्ग और 88 ग्रामीण सड़कें बाधित हैं. कुल मिलाकर 173 ऐसे रास्ते बंद हैं, जो गांवों को मुख्य सड़कों और बाज़ारों से जोड़ते हैं.
बागेश्वर ज़िलों में रास्ते बाधित होने की समस्या बनी हुई है. इस बारे में टीओआई की रिपोर्ट की मानें तो चंपावत ज़िले में 34 गांवों में बिजली सप्लाई अब तक बाधित है. इधर, राज्य सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल का कहना है कि आवागमन सुचारू करने के लिए राहत कार्य किए जा रहे हैं.

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