हिरासत में नवाब मलिक: मंत्रिमंडल में रखना या बर्खास्त करना सीएम ठाकरे का विशेषाधिकार, भाजपा की मांग पर बोले राउत
मलिक राकांपा के वरिष्ठ नेता व महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री हैं। उन्हें दाउद इब्राहिम की डी कंपनी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया है।
ईडी द्वारा गिरफ्तार महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक के इस्तीफे की भाजपा की मांग को शिवसेना ने खारिज कर दिया है। पार्टी के सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को कहा कि मंत्रिमंडल से इस्तीफा मंजूर-नामंजूर करना मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का विशेषाधिकार है।मलिक राकांपा के वरिष्ठ नेता व महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री हैं। उन्हें दाउद इब्राहिम की डी कंपनी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया है। कोर्ट ने उन्हें 3 मार्च तक पूछताछ के लिए ईडी की हिरासत में सौंपा है।
मलिक अस्पताल में भर्ती
ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के तीसरे दिन नवाब मलिक को अस्पताल में भर्ती कराया गया। वह मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती हैं। हालांकि, उन्हें किन कारणों से अस्पताल में भर्ती किया गया है। इसकी जानकारी अभी नहीं मिली है। बुधवार को एनसीपी नेता को ईडी ने गिरफ्तार किया था। उन पर दाऊद इब्राहिम के करीबी से संपत्ति खरीदने का आरोप है। इसके अलावा मनी लांड्रिंग से जुड़े मामले में भी ईडी जांच कर रही है। ईडी की टीम ने बुधवार सुबह करीब सात बजे उनके घर पर छापेमारी की थी। इसके बाद ईडी उन्हें अपने साथ ले आई थी। करीब छह घंटे पूछताछ के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई थी।
करोड़ाें की जमीन कौड़ियों के दाम खरीदी
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मलिक की गिरफ्तारी के बाद पूरी कहानी का पर्दाफाश किया था। ईडी ने कोर्ट में बताया था कि, मंत्री नवाब मलिक ने कथित रूप से मुनिरा प्लंबर से 300 करोड़ रुपये का प्लाट कुछ लाख रुपये में एक कंपनी के जरिये हड़पा था। इस कंपनी का नाम सॉलिड्स इन्वेस्टमेंट प्रा.लि. है और कंपनी का मालिक मलिक परिवार है।ने आरोप लगाया कि मलिक यह कंपनी भगोड़े डॉन दाउद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर और डी गैंग के अन्य सदस्यों के सहयोग से चलाते रहे हैं। इस संबंध में मुनिरा प्लंबर ने ईडी को दिए बयान में बताया कि कुर्ला में गोवाला कंपाउंड में उनका 3 एकड़ का प्लॉट था। इस जमीन पर अवैध कब्जे को खाली कराने और विवादों को निपटाने के लिए सलीम पटेल ने उससे पांच लाख रुपये लिए थे, लेकिन उसने यह जमीन थर्ड पार्टी को बेच दी जबकि सलीम को कभी प्रापर्टी को बेचने के लिए नहीं कहा था। यही नहीं, 18 जुलाई 2003 को जमीन के मालिकाना हक ट्रांसफर करने से संबंधित कागज पर ही हस्ताक्षर नहीं किया था। उन्हें इस बात की भनक नहीं थी कि सलीम पटेल ने यह जमीन किसी दूसरे को बेच दी है।