बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए न्योमोकोकल वैक्सीन दी जायेगी

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भारत में पांच वर्ष से 10 वर्ष के बच्चों में से 15 प्रतिशत की मृत्यु निमोनिया के कारण होती है। इन बच्चों की संख्या वर्ष 2015 में 53 हजार थी। यह माना गया है कि निमोनिया का प्रमुख कारण न्योमोकोस है। इसके विरुद्ध लड़ने के लिए न्योमोकोकल कोजूगेट वैक्सीन एकमात्र रोकथाम का उपाय है।इस वैक्सीन से बच्चों को न्योमोकोकल निमोनिया से होने वाली बीमारी से बचाया जा सकता है

देहरादून। उत्तराखंड में बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए अब न्योमोकोकल काजूगेट वैक्सीन दी जाएगी। इस वैक्सीन को बीते शुक्रवार को ही नियमित वैक्सीनेशन में शामिल किया गया है। इसमें प्रदेश सरकार को विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनाइटेड नेशन डेवलेपमेंट प्रोग्राम, जेएसआइ सहयोग करेंगे। माना जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर में यह वैक्सीन कोरोना से अतिरिक्त सुरक्षा भी प्रदान करेगी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार निमोनिया बच्चों की मृत्यु का एक बड़ा कारण है। विश्वभर में निमोनिया से होने वाली कुल मौतों में से 20 फीसद भारत में होती है। भारत में पांच वर्ष से 10 वर्ष के बच्चों में से 15 प्रतिशत की मृत्यु निमोनिया के कारण होती है। इन बच्चों की संख्या वर्ष 2015 में 53 हजार थी। यह माना गया है कि निमोनिया का प्रमुख कारण न्योमोकोस है। इसके विरुद्ध लड़ने के लिए न्योमोकोकल कोजूगेट वैक्सीन एकमात्र रोकथाम का उपाय है।इस वैक्सीन से बच्चों को न्योमोकोकल निमोनिया से होने वाली बीमारी से बचाया जा सकता है। यह वैक्सीन कई अन्य रोगों के संक्रमण से भी बचाव करती है। अभी तक यह वैक्सीन केवल पांच राज्यों में उपलब्ध थी। अब केंद्र सरकार की सहायता व राज्य सरकार के प्रयासों से यह वैक्सीन उत्तराखंड के बच्चों के लिए भी उपलब्ध होने जा रही है। उत्तराखंड में न्यूमोकोकल निमोनिया से बचाव के लिए निजी चिकित्सकों द्वारा यह वैक्सीन बीते कुछ वर्षों से शुरू की गई है। इस पर 10 हजार से लेकर 12 हजार रुपये तक का खर्च आती है। अब भारत सरकार के सहयोग से प्रदेश के 1.83 लाख बच्चों को इस वैक्सीन की तीन डोज राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत मुफ्त दी जाएगी। ये डोज बच्चे के जन्म के छह सप्ताह, 14 सप्ताह और नौ माह में दी जाएगी।

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