इनकम टैक्स का नया स्लैब जारी, अब इतनी सैलरी पर देना होगा टैक्स
दिल्ली ।जानकारी के मुताबिक बता दें कि इनकम टैक्स का नया स्लैब जारी कर दिया है। जिसके अनुसार अब आपको इतनी सैलरी पर भी टैक्स देना होगा। लेकिन अगर आप अपना टैक्स बचाना चाहते है तो आज हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहे है जिससे आप अपना टैक्स बचा सकते है आइए जानते है
31 मार्च को फाइनेंशियल ईयर पूरा होकर 1 अप्रैल से नया वित्त वर्ष शुरू हो जाएगा. अब आपको अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा. आयकर विभाग की तरफ से इनकम टैक्स फाइल करने की अंतिम तिथि जारी कर दी है।
आईटीआर फाइल करने से पहले आप यह निश्चित कर लें कि आपने अपने परिवार के लिए किस-किस योजना में निवेश किया है? आज मार्केट में म्युचूअल फंड से लेकर एफडी तक, निवेश के तमाम ऑप्शन उपलब्ध हैं.
आज हम बात करते हैं आपकी सैलरी और टैक्स को लेकर. यदि आपकी सैलरी 12 लाख रुपये भी है, तब भी आपको 1 रुपये टैक्स देने की जरूरत नहीं है l
प्लानिंग करना जरूरी
टैक्स बचाने के लिए आपका सही तरीके से प्लानिंग करना जरूरी है. इसके लिए आप किसी एक्सपर्ट से भी सलाह ले सकते हैं. यदि आपकी कंपनी ने किसी कारण आपका टैक्स काट लिया है तो आईटीआर फाइल करके आप कटे हुए अतिरिक्त पैसे को वापस पा सकते हैं. 12 लाख सैलरी के बेस पर आप ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत 30 प्रतिशत टैक्स के दायरे में आते हैं.
प्लानिंग करना जरूरी
टैक्स बचाने के लिए आपका सही तरीके से प्लानिंग करना जरूरी है. इसके लिए आप किसी एक्सपर्ट से भी सलाह ले सकते हैं.
यदि आपकी कंपनी ने किसी कारण आपका टैक्स काट लिया है तो आईटीआर फाइल करके आप कटे हुए अतिरिक्त पैसे को वापस पा सकते हैं. 12 लाख सैलरी के बेस पर आप ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत 30 प्रतिशत टैक्स के दायरे में आते हैं.
दरअसल, 10 लाख रुपये से ज्यादा की सालाना इनकम पर 30 प्रतिशत की देनदारी होती है. 12 लाख या इससे ज्यादा की सालाना आय वालों के लिए भी ओल्ड टैक्स रिजीम का चुनाव करना ही बेहतर रहेगा. आइए देखते हैं पूरी कैलकुलेशन…
ये है पूरा गणित
1. हर कंपनी कर्मचारियों को 2 पार्ट में सैलरी देती है. किसी कंपनी में इसे पार्ट-A और पार्ट-B कहा जाता है. कहीं पर इसे पार्ट-1 और पार्ट-2 कहा जाता है.
पार्ट-A या पार्ट-1 की सैलरी पर टैक्स देना होता है. आमतौर पर 12 लाख की सैलरी पर दो लाख रुपये पार्ट-B या पार्ट-2 में रखा जाता है. इस तरह आपकी टैक्सेबल इनकम घटकर 10 लाख रुपये रह गई.
2. इसके बाद स्टैंडर्ड डिडक्शन के रूप में वित्त मंत्रालय की तरफ से दिए जाने वाले 50 हजार रुपये को घटा दें. इन्हें घटाने के बाद आपकी टैक्सेबल इनकम घटकर 9.50 लाख रुपये रह गई.
रुपये तक की सेविंग क्लेम कर सकते हैं. इसमें आप ट्यूशन फी, एलाईसी (LIC), पीपीएफ (PPF), म्यूचुअल फंड (ELSS), ईपीएफ (EPF) या होमलोन का मूलधन आदि क्लेम कर सकते हैं. अब आपकी टैक्सेबल इनकम घटकर 8 लाख रुपये रह गई.
4. इनकम टैक्स के सेक्शन 24B के तहत आपको होम लोन के ब्याज पर दो लाख रुपये की छूट मिलती है. इस तरह यहां आपकी टैक्सेबल इनकम घटकर 6 लाख रुपये रह गई.
5. इसके बाद आपको टैक्सेबल इनकम शून्य (0) करने के लिए 80CCD (1B) के तहत नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में 50 हजार रुपये का निवेश करना होगा. यहां टैक्सेबल सैलरी घटकर सालाना 5.5 लाख रुपये रह गई.
आयकर की धारा 80D में आप बच्चे-पत्नी और माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम क्लेम कर सकते हैं. बच्चे और पत्नी के लिए 25 हजार रुपये तक का प्रीमियम क्लेम किया जा सकता है.
यदि आपके माता-पिता सीनियर सिटीजन हैं तो प्रीमियम के तौर पर 50 हजार रुपये क्लेम कर सकते हैं. इन दोनों को घटाने पर आपकी टैक्सेबल इनकम घटकर 4.75 लाख रुपये रह गई.
ढाई लाख से 4.75 लाख रुपये तक की आय पर 5 प्रतिशत टैक्स होता है. इस हिसाब से 2.25 लाख रुपये पर 11250 रुपये का टैक्स बनता है.
लेकिन वित्त मंत्रालय की तरफ से 12500 रुपये तक के टैक्स पर रिबेट दी जाती है. इस तरह 12 लाख की सैलरी पर भी आपकी टैक्स देनदारी शून्य हुई.