अब बदल रहा है सरकारी व प्राईवेंट स्कूलों का पाठ्यक्रम
पाठ्यक्रम बनाने के लिए चार अलग-अलग नोडल अधिकारी नियुक्त किए जा रहे हैं। 25-25 विशेषज्ञों की चार टीमें राज्य स्तरीय पाठ्यक्रम (एससीएफ) तैयार कर एनसीईआरटी को भेजेंगी। पाठ्यक्रम में बदलाव होने के बाद राज्य के 85 फीसदी से ज्यादा स्कूलों में नया पाठ्यक्रम ही लागू होगा। इसे लागू करने में अभी डेढ़ से दो साल का वक्त लग सकता है।
देहरादून । देश में विभिन्न क्षेत्र में बड़े बदलाव आए हैं। इन्हें देखते हुए वर्तमान जरूरत के अनुसार शिक्षा को भी नया विस्तार देने की तैयारी की जा रही है। सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ाई और पाठ्यक्रम का अंदाज बदलने जा रहा है। पंद्रह साल बाद राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) राष्ट्रीय स्तर पर पहली से 12 वीं कक्षा तक के पाठ्यक्रम को नए सिरे तय करने का निर्णय किया है। उत्तराखंड समेत सभी राज्यों से एनसीईआरटी ने चार विभिन्न सेक्टर में राज्य स्तरीय पाठ्यक्रम तैयार करने को कहा है। राज्यों से मिलने वाले पाठ्यक्रम सुझावों को शामिल करते हुए राष्ट्रीय करिकुलम फ्रेमवर्क ( एनसीएफ ) तय होगा। निदेशक-अकादमिक, शोध एवं प्रशिक्षण सीमा जौनसारी ने बताया कि इस बाबत एनसीईआरटी के निर्देश राज्य को मिल गए हैं। स्कूल शिक्षा, शिक्षक शिक्षा, प्रौढ शिक्षा और प्री-स्कूल पाठ्यक्रम बनाने के लिए चार अलग-अलग नोडल अधिकारी नियुक्त किए जा रहे हैं। 25-25 विशेषज्ञों की चार टीमें राज्य स्तरीय पाठ्यक्रम (एससीएफ) तैयार कर एनसीईआरटी को भेजेंगी।
शतप्रतिशत लागू होगा बदलाव
उत्तराखंड में वर्तमान में उत्तराखंड बोर्ड और सीबीएसई बोर्ड में एनसीईआरटी की पुस्तकें लागू हैं। केवल आईसीएसई बोर्ड ही एनसीईआरटी के दायरे से अलग है। पाठ्यक्रम में बदलाव होने के बाद राज्य के 85 फीसदी से ज्यादा स्कूलों में नया पाठ्यक्रम ही लागू होगा। हालांकि इस लागू में अभी डेढ़ से दो साल का वक्त लग सकता है।
वर्तमान में लागू है वर्ष 2005 का एनसीएफ
वर्तमान में देश में वर्ष 2005 में तय किया गए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम फ्रेमवर्क यानि एनसीएफ लागू है। बीते साल नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद पाठ्यक्रम में बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है।