अब मैदानी क्षेत्र के ढाबों की तरह पहाड़ के ढाबों में रोडवेज के यात्रियों से हो रही है मारपीट

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चालक का चमड़िया रेस्टोरेन्ट पर बस रोके जाने का अपने नीजि स्वार्थ रहा ,यात्रियों की सुविधा की अनदेखी की गई ,जहां पर केवल एक ही होटल है , यात्रियों को इस होटल मेें पानी भी नसीब नहीं हुआ ,बासी खाना , बदबूदार चाय पिलााने से विवाद उपजा ,यात्रियों ने कहा ऐसा खाना व चाय पर ऐतराज जताया तो होटल के कर्मचारी व मालिक यात्रियों से मारपीट कर दी । बस चालक यह सबकुछ देखकर भी कुछ बोलने को तैयार नहीं हुआ

संवाददाता
हल्द्वानी ( नन्दा टाइम्स )। अक्सर अपने सुना होगा कि आए दिन मैदानी क्षेंत्र के ढाबें के कर्मचारी उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में यात्रा कर रहे यात्रियों के साथ मारपीट के लिए उतारू हो जाते है यह विवाद तब होता है जब बासी खाना , खानें की चीजों का अधिक पैसा वसूलते है, ऐसी कई घटनांए हो चुकि है ,तभी परिवहन निगम ने मैदाी क्षेत्र के रूटों पर चलने वाली बसों के लिए निर्धारित रेस्टोरेन्ट तय किए गये जहां पर उन्हें वहां पर सारी सुविधाएं मिल सकें । ऐसा ही अब पहाड़ पर चलने वाली परिवहन निगम की बसों में यात्रा कर रहे यात्रियों के साथ ढाबें के कर्मचारी व मालिक बदसलूकी पर उतारू हो रहे है।
जानकारी के मुताबिक 14 दिसम्बर 2024 को बरेली बागेश्वर जानें वाली रोडवेज चाय,नास्ते के लिए हल्द्वानी अल्मोड़ा हाईवे पर चमड़िया पर रूकी ,कुछ यात्रियों ने कहा कि बासी दाल क्यों खिला रहे हो कुछ यात्रियों से रेट से अधिक पैसा वसूलने से विवाद हो गया जिसमें ढाबें के कर्मचारी व मालिक यात्रियों से मारपीट के उतारू हो गये । इस मामले में सभी यात्री ने बस चालक को दोषी मानने लगे उनका कहना था कि बस चालक ने जानबूझकर बस चमड़िया पर रोकी जबकि रोडवेज की बस हमेशा की तरह रामगाड़ पर रोकी जाती है वहां पर यात्रियों के लिए सुविधा है । इस मामले में यात्रियों ने चालक से पूछा कि यहां पर कयों रोका ? उसने कहा कि अधिकरियों के आदेश है कि चमड़िया पर ही रोकें ।
इस मामले की जानकारी निगम के अधिकारियों से ली गई, उन्होनें कहा कि पहाड़ के रूटों पर चलने वाली बसों के लिए कोई भी ढाबें निधारित नहीं किए हुए है ,जहां पर यात्रियों को सुविधा मिलती है उन्हीं ढावों पर निगम के बसें रोकनी चाहिए कोई भी लेकिन ऐसा आदेश जारी नहीं हुए है।
जानकारी मिली है कि बरेली बागेश्वर में चालक ने अपने स्वार्थ के लिए चमड़िया पर रोकी थी ।

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