धामी के सामने पुरानी घोषणाएं और फैसलों को लागू करने की बड़ी जिम्मेदारी
ददेहरादून अगले सप्ताहभर के भीतर प्रदेश को नई सरकार मिलने वाली है। इस सरकार के सामने पुरानी सरकार की रीतियों-नीतियों को आगे बढ़ाने की अहम जिम्मेदारी होगी। वादों पर खरा उतरने की चुनौती होगी। पुरानी धामी सरकार के कर्मचारियों सहित विभिन्न वर्गों के लिए किए गए इरादों को धरातल पर उतारने की उम्मीद भी होगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने कार्यकाल में कर्मचारियों की सभी समस्याओं की सुनवाई के लिए वेतन विसंगति समिति का गठन किया था। कर्मचारी संगठनों ने अलग-अलग अपनी समस्याएं इस समिति के सामने भी रखी थी। पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि उसी कार्यकाल में समिति की रिपोर्ट आएगी और उस पर फैसला होगा लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।समिति अब नई सरकार के सामने अपनी रिपोर्ट रखेगी, जिसके आधार पर नई सरकार के सामने लाखों कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान की चुनौती पेश आएगी। धामी कैबिनेट ने शिक्षा मित्रों का मानदेय 15 हजार से बढ़ाकर 20 हजार करने का निर्णय लिया था लेकिन इसके बाद आचार संहिता के चलते आदेश लटका हुआ है। उम्मीद जताई जा रही है कि नई सरकार में मानदेय में बढ़ोतरी होगी।
इसी प्रकार, धामी सरकार ने वृद्धावस्था, विकलांग, विधवा पेंशन के साथ ही दिव्यांग पेंशन को 1200 रूपये से बढ़ाकर 1500 रुपये करने का निर्णय लिया था, जिसके शासनादेश का नई सरकार में इंतजार होगा। धामी सरकार ने सशक्त भू-कानून को लेकर समिति का गठन किया था। यह समिति पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में बनाई गई थी लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पाया था। भाजपा ने इस बार के चुनावी घोषणा पत्र(दृष्टि पत्र) में भी भू-कानून का वादा किया था। लिहाजा, प्रदेश में बनने वाली नई सरकार के सामने भू-कानून की बड़ी जिम्मेदारी होगी।