सातवें दिन बाद भी सुरंग में फंसी 41 जिंदगियां बचाने में नाकाम साबित हो रही है , परिजनों का सब्र का बांध टूटा

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उत्तराकाशी । यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग में हुए हादसे में 41 श्रमिक फंसे हैं। रेस्क्यू के सातवें दिन आज शनिवार को कंपनी की बड़ी लापरवाही सामने आई। अब तक कंपनी ने 40 मजदूरों के फंसे होने की सूची ही प्रशासन को उपलब्ध कराई थी, लेकिन अब 41 वें श्रमिक के भी फंसे होने की बात सामने आई है।
यहां उत्तरकाशी सिल्क्यारा पहुंचे पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि पूरे क्षेत्र की ताकत को इस स्तर तक बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है कि हम जिस बचाव कार्य को करने का इरादा कर रहे हैं, वहां तक पहुंचना श्रमिकों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित रहे।

सीएम के चुनावी दौरे और मंत्रियों के ग्राउंड जीरो पर न जाने के कांग्रेस के आरोप भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा, जिनकी वहां सबसे अधिक जरूरत है, वे सभी विशेषज्ञ और आपदा प्रबंधन टीम वहां प्रयासों में जुटी है। जहां तक सवाल है सरकार का तो सीएम, केंद्रीय मंत्री, स्थानीय सांसद विधायक सभी वहां बचाव कार्यों का जायजा लेने गए। स्वयं पीएम भी दो बार सीएम से हालात की जानकारी ले चुके हैं। भट्ट ने कहा, सरकार की प्राथमिकता फंसे सभी श्रमिकों को सुरक्षित निकलने की है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कांग्रेस पर टनल हादसे पर गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी करने का आरोप लगाया है। भट्ट ने घटना स्थल पर मंत्रियों के नहीं पहुंचने के आरोपों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा, जिन विशेषज्ञों और आपदा प्रबंधन टीम की वहां सबसे अधिक जरूरत है, वो वहां मौजूद हैं। ग्राउंड जीरो पर जुटी विशेषज्ञों की टीम अनुभव के आधार पर बचाव के प्रयास में जुटी है।
उत्तरकाशी सुरंग हादसे में बड़े अपडेट
सिलक्यारा सुरंग हादसे के बाद सुरंग के फंसे 40 मजदूरों की संख्या बढ़कर 41 हो गई है। गत शुक्रवार दिनभर चली एक अन्य व्यक्ति के सुरंग में फंसे होने की अफवाह पर देर रात मुहर लग गई। कंपनी प्रबंधन ने जिला प्रशासन को मुजफ्फरपुर बिहार के दीपक कुमार के सुरंग में फंसे होने की सूचना दी है।
अमेरिकी ऑगर मशीन से गत शुक्रवार दोपहर बाद ड्रिलिंग का काम बंद कर दिया गया था। जिसके बाद से अब तक मात्र 22 मीटर ही ड्रिल हो पाया है। बताया जा रहा है कि मशीन के कंपन से सुरंग में मलबा गिरने का खतरा बना हुआ है। वहीं दरारें भी आई हैं।
अब सुरंग फंसे लोगों को बचाने के लिए सुरंग के ऊपर और साइड से भी ड्रिलिंग करने करने का प्लान है। इसके लिए कुछ मशीनें मंगाई गई है। जिसमें ऊपर से अधिक मात्रा में खाना और साइड से उन्हें निकाला जाएगा।
शनिवार को सात दिन बाद सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर नहीं निकाले जाने पर मजदूरों के सब्र का बांध टूट गया। उन्होंने दोबारा कंपनी अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रेस्क्यू में तेजी लाने की मांग की।
शनिवार को प्रधानमंत्री कार्यालय(पीएमओ) में उपसचिव मंगेश घिल्डियाल भी सिलक्यारा पहुंचे। इस दौरान उन्होंने सुरंग का जायजा लेकर रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़े अधिकारियों से वस्तुस्थिति का जायजा लिया।
रेस्क्यू ऑपरेशन का आज सातवां दिन है। और अभी तक सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर नहीं निकाला जा सका है। वहीं कंपनी की बड़ी लापरवाही सामने आने के बाद सुरंग के बाहर अन्य श्रमिकों और परिजनों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया।भारतीय वायुसेना का भीमकाय विमान सी-17 ग्लोबमास्टर देर रात एयरपोर्ट पर उतरा था। जो सैन्य व अन्य सामान आदि उतारने के बाद देर रात वापस रवाना हुआ। इसलिए देहरादून एयरपोर्ट पर सभी फ्लाइटों की आवाजाही बंद होने के बावजूद देर रात तक खुला रखा गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सिलक्यारा सुरंग आपदा से निपटने के लिए देश और दुनिया में चले पुराने सुरंग रेस्क्यू के अनुभवों के आधार पर कार्य किए जा रहे हैं। इसके लिए अधिकारी पड़ोसी राज्य हिमचाल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर समेत दुनिया के कई देशों में सुरंग निर्माण और आपदा के बाद हुए रेस्क्यू की तकनीकी को अपना रहे हैं। पीर पंजाल, अटल सुरंग, भंवर टोंक, सँगलदान जैसी बड़ी सुरंग निर्माण और लूज गिरने के बाद रेस्क्यू की जानकारी जुटाई जा रही है। इसी के अनुसार रेस्क्यू टीम श्रमिकों को बाहर निकालने के प्रयास में जुटी हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मुसीबत में फंसे श्रमिकों के परिजनों के साथ सरकार खड़ी है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वह सभी परिजनों को रेस्क्यू की हर पल की जानकारी देते रहें। इसके अलावा सिलक्यारा पहुंचे परिजनों के लिए भी सहायता केंद्र खोलने और उनके रहने-खाने की जरूरत के हिसाब से मदद की जाए। उन्होंने कहा कि विपदा की इस घड़ी में परिजनों को धैर्य बनाये रखने की जरूरत है।

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