एक प्रधानाध्यापिका सालों से घर बैठे ले रही है 70हजार वेतन , ठेके में रखी है टीचर

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आश्चर्य की बात तो यह है शिक्षा विभाग के संज्ञान में यह व्यवस्था बात बहुत पहले ही आ गई थी। इस प्रधानाध्यापिका की लंबे समय से शिकायत हो रही थी। लेकिन आश्चर्य की बात है कि इससे पहले इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो रखी है। ऊपर से यहां काम करने वाले शिक्षक भी अपनी बेशर्मी से बाज नहीं आते।

एक तरफ शिक्षा विभाग भी लापरवाह है तो दूसरी तरफ ऐसे शिक्षकों की वजह से केवल और केवल गरीब छात्रों का भविष्य अंधकार में जा रहा है। इससे ना तो शिक्षा विभाग को कोई फर्क पड़ता है और ना ही शिक्षा विभाग से मोटा वेतन पाने वाले उन तमाम शिक्षकों को जिनको बच्चों के भविष्य की कोई परवाह नहीं है। अब आप पौड़ी जिले में ही देख लीजिए। यहां एक प्रधानाध्यापिका ने तो हद ही करदी। शिक्षा विभाग से वेतन पढ़ाने के लिए मिलता है, बच्चों का भविष्य संवारने के लिए मिलता है मगर यहां की प्रिंसिपल मैडम तो बस फ्री का वेतन खा रही हैं। वे स्कूल में पढ़ाने नहीं जातीं। अपनी जगह उन्होंने गांव की ही एक युवती को रखा हुआ था। गांव की युवती प्रधानाध्यापिका की जगह स्कूल में पढ़ाती थी और पढ़ाने के मेहनताने के रूप में प्रधानाध्यापिका उसे 10 हजार रुपए महीने देती थी। पौड़ी जिले के एकेश्वर ब्लॉक के एक सरकारी प्राइमरी स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने अपनी जगह एक प्रॉक्सी टीचर यानी अपने खर्चे पर दूसरी युवती को स्कूल में रख लिया। ये युवती प्रधानाध्यापिका की जगह स्कूल में पढ़ा रही थी और बदले में युवती को दस हजार वेतन मिलता था। 

आश्चर्य की बात तो यह है शिक्षा विभाग के संज्ञान में यह बात बहुत पहले ही आ गई थी। इस प्रधानाध्यापिका की लंबे समय से शिकायत हो रही थी। लेकिन आश्चर्य की बात है कि इससे पहले इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब जाकर शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मामले पर जागे हैं। मुख्य शिक्षाधिकारी व जिला शिक्षा अधिकारी प्राथमिक शिक्षा ने प्रधानाध्यापिका को सस्पेंड कर दिया है।

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