देशभर में अब निजी कंपनियां ही बनाएंगी नेशनल हाईवे, सरकार ने क्यों किया बदलाव
सरकार ने दशकों पुरानी नेशनल हाईवे निर्माण नीति में बदलाव कर दिया है. सरकार ने तर्क दिया है कि सुरक्षित, मजबूत और हाई क्वालिटी वाले नेशनल हाईवे के निर्माण की जिम्मेदारी अब रीजनल ऑफिसर यानि क्षेत्रीय अधिकारियों की होगी.
केन्द्र सरकार ने नेशनल हाईवे के निर्माण को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने दशकों पुरानी नेशनल हाईवे निर्माण नीति में बदलाव कर दिया है. सरकार ने तर्क दिया है कि सुरक्षित, मजबूत और हाई क्वालिटी वाले नेशनल हाईवे के निर्माण की जिम्मेदारी अब रीजनल ऑफिसर यानि क्षेत्रीय अधिकारियों की होगी.
निजी कंपनी की होगी जिम्मेदारी
सरकार ने कहा है कि नेशनल हाईवे की फिजीबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने से लेकर निर्माण, देखरेख और रखरखाव की जिम्मेदारी अब निजी कंसल्टेंट कंपनी की होगी. सरकार का कहना है कि इस बदलाव से हाइवे के निर्माण कार्यों में तेजी आएगी क्योंकि फैसले लेने में देरी नहीं होगी. एक कंपनी की जिम्मेदारी तय होने से भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी क्योंकि एक्सपर्ट्स की टीम निर्माण कार्य पर टेढ़ी नजर रखेगी ।
चीफ इंजीनियर, रीजनल ऑफिसर का होगा अधिकार
सड़क मंत्रालय द्वारा जारी नए दिशानिर्देशों के अनुसार, सभी राज्यों में तैनात सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के क्षेत्रीय अधिकारी और चीफ इंजीनियरों को अधिकार दिया गया है कि वह परियोजनाओं के लिए पारदर्शी तरीके से उनका मूल्यांकन करें. साथ ही उन्हें निविदाएं स्वीकार करने के भी अधिकार दिए गए हैं.
नए दिशानिर्देशों के अनुसार, हर एक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंसी के नेतृत्व में आगे बढ़ेगी. इसमें प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले का कार्य और प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद नेशनल हाईवे का रखरखाव और मरम्मत आदि कार्य निजी प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंसी के ही जिम्मे होगा.
अभी यह है मौजूदा व्यवस्था
सड़क मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मौजूदा व्यवस्था में 300 करोड़ रुपए से ज्यादा के प्रोजेक्ट्स के लिए मंत्रालय की मंजूरी लेनी अनिवार्य है. इसके बाद टेंडर जारी कर हाइवे निर्माण का ठेका किसी कंपनी को दिया जाता है. जबकि फिजीबिलिटी रिपोर्ट, डीपीआर तैयार करना और पर्यवेक्षण निगरानी के लिए अलग- अलग कंपनियां होती है.
उन्होंने बताया कि मल्टी विंडो सिस्टम होने से प्रोजेक्ट के सिरे चढ़ने में देरी और अलग- अलग कानूनी दांवपेंच लगते रहते हैं. इससे न केवल समय की बर्बादी होती है बल्कि हाइवे निर्माण पर खर्च होने वाली लागत राशि भी बढ़ जाती है. लेकिन अब नए बदलाव से काम की गुणवत्ता सुधरेगी और साथ ही समय तथा धनराशि दोनों की बचत भी होगी.