प्रोस्टेट की बीमारी, नजरअंदाज करें तो घातक हो सकती है बीमारी, कैंसर तक हो सकता है

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प्रोस्टेट रोग एक सामान्य शब्द है, जिसका उपयोग कई तरह की चिकित्सा स्थितियों के बारे में बताने के लिए किया जाता है, जो प्रोस्टेट ग्रंथि को प्रभावित कर सकती हैं।
प्रोस्टेट ग्रंथि कहां होती है?
स्टेट एक छोटी ग्रंथि होती है , जो सिर्फ पुरुषों में पाई जाती है। यह मानव शरीर में उसके लिंग और मूत्राशय के बीच में होती है, जो मूत्रमार्ग ( नलिका जो मूत्राशय से लिंग तक मूत्र को लेकर जाती है) को घेरे रखती है।
प्रोस्टेट ग्रंथि, पुरुषों में वीर्य (एक द्रव जो स्खलन के दौरान शुक्राणुओं को ले जाता है) के उत्पादन में भी मददगार होती है। यह गाढ़े सफेद तरल पदार्थ का उत्पादन करती है , जिसे प्रोस्टेट- स्पेसिफिक एंटीजन नामक एक खास प्रोटीन द्वारा तरल बनाया जाता है। यह तरल पदार्थ हमारे अंडकोष द्वारा बनने वाले शुक्राणु के साथ मिलकर वीर्य बनता है ।
ऐसी कई परिस्थितियां होती हैं , जो हमारी प्रोस्टेट ग्रंथि को प्रभावित कर सकती हैं , जिसमें शामिल हैं
प्रोस्टेट का बढ़ना
प्रोस्टेट ग्रंथि का सूजन (प्रोस्टेटाइटिस)

प्रोस्टेट कैंसर
नीचे इन स्थितियों का सार है। इसके साथ ही इनमें से प्रत्येक के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए एक लिंक भी दिया गया है
प्रोस्टेट का बढ़ना
प्रोस्टेट का बढ़ना , बढ़ती उम्र से जुड़ी एक सामान्य स्थिति है । 50 साल से ज्यादा आयु के लगभग हर तीसरे आदमी में प्रोस्टेट के बढ़ने संबंधी लक्षण दिख सकते हैं।
मूत्रमार्ग एक नली होती है, जो मूत्राशय से प्रोस्टेट के माध्यम से लिंग के अंत तक जाती है। जब कोई शख्स पेशाब करता है, तो शरीर से पेशाब इसी मूत्रमार्ग के माध्यम से बहता और बाहर आता है। अगर प्रोस्टेट बढ़ जाती है तो यह मूत्रमार्ग पर दबाव डाल सकती है, जिससे मूत्राशय को खाली करने में परेशानी हो सकती है।बढ़ी हुई प्रोस्टेट ग्रंथि, ऐसे लक्षणों का कारण बन सकती है, जिसमें पेशाब को सामान्य तरीके से शरीर से बाहर निकालने में परेशानी होती है ।

ये आपके पेशाब करने की शुरुआत को काफी मुश्किल भरा बना सकती है
ये आपके पेशाब करने के प्रवाह को कमजोर कर सकती है और शुरू करने और रोकने की स्थिति भी कर सकती है
पेशाब करने में आपको ज़्यादा ज़ोर लगाने का कारण बन सकती है
बार-बार पेशाब करना पड़ सकता है
रात में पेशाब करने के लिए आप बार बार उठ सकते हैं
प्रोस्टेट बढ़ने की स्थिति में, एक आसान उपचार यह है कि आप बिस्तर पर जाने से पूर्व, जितना पानी आप पहले पिया करते थे, उससे कम पिएं।
जैसी कुछ दवाएं हैं , जो प्रोस्टेट ग्रंथि की मांसपेशियों को आराम देने या उसके आकार को कम करने में मददगार साबित होती हैं , जिससे पेशाब करना आसान हो जाता है।
ऐसे गंभीर मामलों में जहां यह दवा असरदार साबित नहीं होती, वहां प्रोस्टेट ग्रंथि का आंतरिक भाग, जो मूत्रमार्ग के लिए बाधक बन जाता है, उसे सर्जरी करके हटाया जा सकता है।
प्रोस्टेटाइटिस
प्रोस्टेटाइटिस एक ऐसी स्थिति है , जिसमें प्रोस्टेट ग्रंथि सूज (लाल और फूली हुई) जाती है। अमूमन, सूजन किसी संक्रमण की प्रतिक्रिया के रूप में होती है। लेकिन प्रोस्टेटाइटिस के अधिकांश मामलों में संक्रमण का कोई सबूत नहीं मिलता।
प्रोस्टेटाइटिस के लक्षणों में शामिल हैं
पेडू में दर्द
अंडकोष में दर्द

पेशाब करते समय दर्द होना(यह असमान्य है और मूत्रमार्ग के संक्रमण के साथ ज्यादा होता है)।
वीर्यस्खलन होने पर दर्द
पेरिनेम (अंडकोष की थैली और एनस या गुदा के बीच का क्षेत्र) में दर्द , जो अक्सर सख्त कुर्सियों या साइकिल की सीट पर बैठने से, और बदतर हो जाता है।
ऐसा माना जाता है कि 20 में से 3 लोगों (15 फीसदी) को अपने जीवनकाल में प्रोस्टेटाइटिस एक समय पर जरूर प्रभावित करता है। हालांकि यह किसी भी आयु के पुरुषों को प्रभावित कर सकता है पर 30 से 50 वर्ष की आयु के पुरुषों का इससे प्रभावित होना सामान्य है ।
प्रोस्टेटाइटिस का इलाज दर्दनिवारक और एक तरह की दवाओं के संयोजन के किया जा सकता है । इसे अल्फा-ब्लॉकर के रूप में जाना जाता है। दवाओं का यह संयोजन लक्षणों को दूर करने में मददगार साबित हो सकते हैं।
प्रोस्टेट कैंसर की संभावना बढ़ सकती है।

प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाले सबसे आम कैंसर में से है। हर साल बहुत बड़ी संख्या में इससे ग्रसित लोगों की पहचान होती है ।किसी भी शख्स में प्रोस्टेट कैंसर विकसित होने का खतरा , उसकी बढ़ती उम्र के साथ बढ़ता है। इसके अधिकांश मामले पुरुष जिनकी उम्र 50 साल से ज्यादा होती है, उनमें होते हैं।प्रोस्टेट कैंसर के कारणों के बारे में कुछ पता नहीं है , लेकिन उम्र, जातीय मूल और पारिवारिक इतिहास इसके जोखिम के कारकों में शामिल हैं।
प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण प्रोस्टेट बढ़ने के जैसे ही होते हैं। इसमें शामिल हैं

बार बार पेशाब आने की परेशानी महसूस करना। (ज्यादातर रात के समय )
शौचालय जाने की जरूरत महसूस होना
पेशाब करने में कठिनाई (संकोच)
पेशाब शुरू करने के लिए या पेशाब करते वक्त, काफी देर तक खड़े रहना
पेशाब का कमजोर प्रवाह
ऐसा महसूस करना की अभी आपका मूत्राशय पूरी तरह से खाली नहीं हुआ है
प्रोस्टेट कैंसर का आउट्लुक सामान्यतः अच्छा है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई दूसरे कैंसरों की तुलना में यह बहुत धीरेदृधीरे बढ़ता है। कई पुरुष, प्रोस्टेट कैंसर साथ लेकर ही मरते है बजाय इसके कि वो इसके फलस्वरूप मरें।
अगर प्रोस्टेट कैंसर का इलाज समय रहते शुरू कर दिया जाए तो अक्सर यह ठीक भी हो जाता है। इसके उपचार में शामिल हैं
प्रोस्टेट ग्रंथि को हटाने के लिए सर्जरी
रेडियोथेरेपी शरीर में मौजूद कैंसर की कोशिकाओं को मारने के लिए विकिरण का उपयोग करना ।हार्माेन थेरेपी – टेस्टोस्ट्रोन के प्रभाव को रोकने के लिए दवा का उपयोग करना। (यह वह हार्मोंन होता है जो प्रोस्टेट कैंसर को उत्तेजित करता है।)
इन उपचारों के साथ कुछ अहम दुष्प्रभाव भी सामने आने का खतरा जीवन में बना रहता है, जैसेरू
कामेच्छा में कमी
लिंग में तनाव बनाए रखने में असमर्थता
मूत्र असंयम (मूत्राशय पर नियंत्रण काम होना)
इन कारणों के चलते, कई लोग इस समस्या का उपचार देरी से करवाने का फैसला लेते हैं। वह इलाज तब करवाते हैं , जब कैंसर के फैलने का कोई अहम जोखिम नजर आता है।
अगर, कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि से शरीर के दूसरे अंगों तक में फैल गया है, ( यह प्रक्रिया मेटास्टेसिस के रूप में जानी जाती है) तो अमूमन कैंसर से बचाव संभव नहीं है। ऐसे मामलों में उपचार का लक्ष्य, लक्षणों से राहत देना और जीवनकाल को बढ़ाना होगा।
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