अपनी पत्नी के 72 टुकड़े करने वाले इंजीनियर पति राजेश को 11 साल बाद भी जमानत नहीं मिली

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नैनीताल । देहरादून के चर्चित अनुपमा गुलाटी हत्याकांड के मामले में राजेश गुलाटी की तरफ से हाईकोर्ट में दायर अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र सुनवाई की। जिसमें सरकार से दस दिन के भीतर अंतरिम जमानत प्रार्थना पत्र पर आपत्ति पेश करने को कहा है। सुनवाई मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई। उक्त घटना में 17 अकटुबर 2010 को अनुपमा गुलाटी की निर्मम हत्या हुई थी।

पति राजेश गुलाटी पर हत्या के आरोप लगे। शव को छुपाने के लिए शव के 72 टुकड़े कर डीप फ्रिज में डाल दिया गया था। 12 दिसम्बर 2010 को अनुपमा का भाई दिल्ली से देहरादून आया, जिसके बाद हत्या का खुलासा हुआ। देहरादून कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने राजेश गुलाटी को 1 सितम्बर 2017 को आजीवन कारावास की सजा सुनवाई थी। राजेश गुलाटी अपने ईलाज के लिए हाईकोर्ट में अंतरिम जमानत प्रार्थरना पत्र पेश किया गया,जो नामंजूर हो गई ।

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