उत्तराखंड सरकार को हाईकोर्ट से आबकारी नीति के संशोधित प्रस्ताव पर मिली राहत

ख़बर शेयर करें

नैनीताल । उत्तराखंड हाई कोर्ट ने प्रदेश की आबकारी नीति को चुनोती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने अपने पूर्व के आदेश को संशोधित करते हुए राज्य सरकार को बड़ी राहत दी है।

कोर्ट ने आदेश दिए है कि जिन दुकानों का आवंटन लॉटरी सिस्टम के तहत होना है उसे पांच अप्रैल को करा लें। शराब कारोबारियों से कहा है कि इस बीच वे अपनी सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर लें। जबकि पूर्व में कोर्ट ने इस पर 13 अप्रैल तक यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे।

आज राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट में आदेश को संशोधन कराने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया। जिसमें कहा गया कि 13 अप्रैल तक यथास्थिति बनाए रखने के आदेश को संशोधित किया जाए। लॉटरी सिस्टम के तहत होना है उसे पांच अप्रैल को करा लें। शराब कारोबारियों से कहा है कि इस बीच वे अपनी सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर लें। जबकि पूर्व में कोर्ट ने इस पर 13 अप्रैल तक यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे।

आज राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट में आदेश को संशोधन कराने के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया। जिसमें कहा गया कि 13 अप्रैल तक यथास्थिति बनाए रखने के आदेश को संशोधित किया जाए। 

पीरूमदारा निवासी विकास चंद्र ने हाईकोर्ट में याचिक दायर कर कहा था कि सरकार ने 22 मार्च को नई आबकारी नीति घोषित की है जो पहली अप्रैल से लागू होनी है। सरकार ने 25 मार्च को विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि पुराने लाइसेंसधारी 29 मार्च तक अपनी दुकानों का नवीनीकरण करा लें। इसके बाद जिन दुकानों का नवीनीकरण नहीं हुआ होगा उनका आवंटन 31 मार्च को लॉटरी सिस्टम से किया जाएगा। याचिका में यह भी कहा गया कि आबकारी नीति के क्लॉज 5.3 व 6.3 के तहत देशी व अंग्रेजी शराब के लिए अलग-अलग नीति है। देशी शराब के लिए प्रति बोतल 270 रुपये गांरटी ड्यूटी तय की गई है, जबकि अंग्रेजी शराब के लिए अभी तक यह तय नहीं हुई है। इसलिए वे किस आधार पर दुकानों का नवीनीकरण कराएं। सरकार ने उन्हें लाइसेंस का नवीनीकरण करवाने के लिए समय भी कम दिया है।

वहीं दुकानों के लॉटरी सिस्टम से आवंटन का समय भी कम दिया गया है। 29 को नवीनीकरण, 30 को अवकाश और 31 को दुकानों का लॉटरी से आवंटन होना है। याचिका में कहा गया कि सरकार ने उन्हें एक दिन का समय तक नहीं दिया है। खुद सरकार ने अभी तक रेट तय नहीं किए हैं, इसलिए इस पर रोक लगाई जाए।

You cannot copy content of this page