भ्रष्टाचार में लिप्त निलंबित आईएफएस किशन चंद को राहत, हाई कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाई
नैनीताल हाईकोर्टट नैनीताल ने आईएफएस और कार्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ वन प्रभाग के निलंबित तत्कालीन उप वन संरक्षक किशन चंद्र पर दर्ज एफआईआर को निरस्त करने व उनकी गिरफ्तारी पर अग्रिम आदेश तक रोक लगाते हुए उन्हें 26 सितंबर को जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने को कहा है।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा ने मामले की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिये हैं। याचिकाकर्ता किशन चंद की ओर से उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने व गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की गयी है।
याचिका में कहा गया है कि उन पर लगाये गये आरोप बेबुनियाद हैं। विभागीय अधिकारियों की अनुमति के बाद ही निर्माण कार्य कराये गये हैं। याचिकाकर्ता पर कालागढ़ रेंज में तैनाती के दौरान मोरघट्टी व पाखरो में अवैध तरीके से निर्माण कार्य के साथ ही पेड़ों के कटान का आरोप है। जांच में भी इसकी पुष्टि हुई है। सरकार ने कुछ समय पहले उनको को निलंबित कर दिया था।
कार्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ वन प्रभाग में निर्माण कार्यों में घपले के आरोप में निलंबित आइएफएस व उप वन संरक्षक किशन चंद अपने विरुद्ध चल रही जांच व एफआइआर निरस्त करने के लिए हाई कोर्ट पहुंच गए थे। बीते 16 सितंबर को सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट के समक्ष स्पष्ट किया था कि किशन चंद के विरुद्ध पर्याप्त सबूत हैं, अभी जांच पूरी नहीं हुई है। सरकार का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि 21 सितंबर नियत कर दी थी।
उल्लेखनीय है कि वन विभाग की जांच में तत्कालीन डीएफओ किशन चंद पर कालागढ़ रेंज में तैनाती के दौरान मोरघट्टी व पाखरो में अवैध तरीके से निर्माण कार्य के साथ ही पेड़ों के कटान का आरोप हैं। जांच में भी इसकी पुष्टि हुई है। सरकार ने जांच रिपोर्ट के आधार पर किशन चंद को निलंबित कर दिया था।
हालांकि किशन चंद का कहना है कि उन्होंने पिछले साल मई में चार्ज ग्रहण किया था, जबकि जिन निर्माण में धांधली की बात कही जा रही है, उसकी प्रशासनिक स्वीकृति अप्रैल में दी गई थी। पेड़ों का कटान भी उनके कार्यकाल में नहीं हुआ था।