शुगर लेवल बढ़ते ही पैरों में दिखने लगते हैं ये लक्षण, पैर काटने की भी आ सकती है नौबत
डायबिटीज में शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है या फिर जितना इंसुलिन बनता है बॉडी उसका इतना इस्तेमाल नहीं कर पाती है. शरीर में इंसुलिन की कमी से कोशिकाएं प्रतिक्रिया देना बंद कर देती हैं. डायबिटीज के मरीजों को पैरों में दो तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है आइए जानते हैं इनके बारे में.
डायबिटीज एक क्रॉनिक डिजीज है जो जिंदगी भर रहती है. डायबिटीज की समस्या तब होती है जब किसी व्यक्ति के खून में ग्लूकोज का स्तर काफी ज्यादा होता है या इसे थोड़ा और सरल भाषा में समझें तो जब पैनक्रियाज (अग्नाशय) बिल्कुल भी इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता या बहुत कम मात्रा में करता है तब डायबिटीज की समस्या होती है. डायबिटीज मुख्य तौर पर दो तरह का होता है – टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज.
टाइप 1 डायबिटीज में पैनक्रियाज बिल्कुल भी इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता. वहीं, टाइप 2 डायबिटीज में पैनक्रियाज काफी कम मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन करता है. एक और तरह के डायबिटीज को जेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं. जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होती है. इन तीनों तरह के डायबिटीज में सबसे कॉमन बात यह है कि इन तीनों में ही खून में ग्लूकोज की मात्रा काफी ज्यादा हो जाती है.