उत्तराखंड में चल रहे रजत जयंती प्रोग्राम, पहाड़ी इलाके में उठी अलग जिले की मांग
रानीखेत। उत्तराखंड में चल रहे रजत जयंती प्रोग्रामों के बीच पृथक रानीखेत जिले के लिए संघर्ष समिति ने आवाज बुलंद की है। विभिन्न संगठनों के साथ ही अधिवक्ताओं व व्यापारी नेताओं ने तहसील कूच कर प्रदर्शन किया।
2011 में भाजपा सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने जिन चार जिलों के गठन की घोषणा की थी, उन्हें पूरा किए जाने की पुरजोर वकालत की। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सीएम धामी राज्य स्थापना की रजत जयंती पर जनभावनाओं से जुड़े पृथक रानीखेत जिले की घोषणा कर अधूरे संकल्पों को पूरा करें। शुक्रवार को मशाल जुलूस निकाल सरकार को चेताया जाएगा।
रानीखेत विकास संघर्ष समिति के आह्वान पर गुरुवार को विभिन्न संगठनों के लोग उपमंडल मुख्यालय जा धमके। नारेबाजी के बीच सभा की। वक्ताओं ने कहा कि 14 वर्ष पूर्व रानीखेत जिले की घोषणा को लोगों ने ऐतिहासिक क्षण माना था। मगर तत्कालीन सीएम के ऐलान का धरातल पर न उतरने से नए जिले की आस लगाए क्षेत्रवासियों को गहरा आघात लगा। वक्ताओं ने कहा कि आमजन यही सवाल उठाते आ रहे हैं कि आखिर रानीखेत जिला कब बनेगा। वक्ताओं ने कहा कि पृथक रानीखेत जिले के लिए एक बार फिर आरपार का संघर्ष शुरू किया जा रहा है।
सीएम को भेजा ज्ञापन
संघर्ष समिति की ओर से तहसीलदार को सीएम धामी के नाम पत्र दिया गया। इसमें कहा गया है कि रानीखेत क्षेत्र भौगोलिक, ऐतिहासिक व रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्त्वपूर्ण है। नए जिले का मुद्दा अरसे से उठाया जाता रहा है। प्रदर्शन करने वालों में नामित सदस्य कैंट मोहन नेगी, अधिवक्ता प्रमोद पांडे, भैरवदत्त पांडे, डीएन बड़ौला, शिवराज सिंह मेहरा, अगस्तलाल साह, बार एसोसिएशन अध्यक्ष विजय पांडे, शाकिर हुसैन, पूर्व व्यापार मंडल अध्यक्ष भगवंत नेगी आदि शामिल रहे।
