चिपको आन्दोलन के प्रणेता सुन्दरलाल बहुगुणा का निधन
प्रदूषण और उससे होने वाली तबाही के बारे में हम सभी बातें करते हैं। बातें करने वालों की तो भरमार है लेकिन प्रदूषण की जड़ तक पहुंचकर उसको नाश करने की हिम्मत जुटाने की बारी आती है तो बहुत से लोग पीछे हट जाते हैं। गिनती के लोग हैं जो पर्यावरण सुरक्षा को अपना जीवन समर्पित करते हैं। उनमें से ही एक हिमालय के रक्षक सुंदरलाल बहुगुणा हैं। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि चिपको आंदोलन है। गांधी के पक्के अनुयायी बहुगुणा ने अपने जीवन का एकमात्र लक्ष्य तय कर लिया और वह पर्यावरण की सुरक्षा था। उनका जन्म 9 जनवरी, 1927 को हुआ था।
उत्तराखंड के टिहरी जिले के सिल्यारा गांव में हुआ। प्राथमिक शिक्षा के बाद वह लाहौर चले गए और वहीं से उन्होंने कला स्नातक किया था। … 1971 में सुन्दरलाल बहुगुणा ने 16 दिन तक अनशन किया। चिपको आंदोलन के कारण वह विश्वभर में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध हो गए।
राजनीतिक और सामाजिक जीवन
उत्तराखंड के टिहरी में जन्मे सुंदरलाल उस समय राजनीति में दाखिल हुए, जब बच्चों के खेलने की उम्र होती है। 13 साल की उम्र में उन्होंने राजनीतिक करियर शुरू किया। दरअसल राजनीति में आने के लिए उनके दोस्त श्रीदेव सुमन ने उनको प्रेरित किया था। सुमन गांधीजी के अहिंसा के सिद्धांतों के पक्के अनुयायी थे। सुंदरलाल ने उनसे सीखा कि कैसे अहिंसा के मार्ग से समस्याओं का समाधान करना है। 1956 में उनकी शादी होने के बाद राजनीतिक जीवन से उन्होंने संन्यास ले लिया।
18 साल की उम्र में वह पढ़ने के लिए लाहौर गए। उन्होंने मंदिरों में हरिजानों के जाने के अधिकार के लिए भी आंदोलन किया। 23 साल की उम्र में उनका विवाह विमला देवी के साथ हुआ। उसके बाद उन्होंने गांव में रहने का फैसला किया और पहाड़ियों में एक आश्रम खोला। बाद में उन्होंने टिहरी के आसपास के इलाके में शराब के खिलाफ मोर्चा खोला। 1960 के दशक में उन्होंने अपना ध्यान वन और पेड़ की सुरक्षा पर केंद्रित किया।
देहरादून । चिपको आंदोलन के पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा का निधन, कोरोना पॉजिटिव होने के बाद एम्स ऋषिकेश में चल रहा था इलाज
जाने माने पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन से पहचान बनाने वाले सुंदरलाल बहुगुणा का आज शुक्रवार को कोरोना से निधन हो गया है। हालांकि, गुरुवार शाम तक बहुगुणा की हालत स्थिर थी। उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन 86ः पर था। डायबिटीज के साथ वह कोविड निमोनिया से पीड़ित थे। 94 वर्षीय बहुगुणा को कोरोना होने पर गत आठ मई को एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था। गुरुवार को एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश थपलियाल ने बताया, उनका उपचार कर रही चिकित्सकों की टीम ने इलेक्ट्रोलाइट्स व लीवर फंक्शन टेस्ट समेत ब्लड शुगर की जांच और निगरानी की सलाह दी है। उनके पुत्र व पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा, बहनोई डा.बीसी पाठक ने लेकर एम्स में भर्ती करवाया था।
बता दें कि देहरादून स्थित शास्त्रीनगर स्थित अपने दामाद डॉ. बीसी पाठक के घर पर रह रहे सुंदरलाल बहुगुणा ने कुछ दिन पहले बुखार आया था। तो घर पर ही डॉक्टरों की निगरानी में उनका इलाज शुरु हो गया था। लेकिन बुखार नहीं उतरने पर तीसरे दिन उन्हें एम्स ले जाने की सलाह दी गई। राजीव ने बताया कि अस्पताल में उनका आरटीपीसीआर टेस्ट व अन्य जांचे की गई थी।इधर उनके पुत्र राजीव नयन ने सोशल मीडिया पर पिता को एडमिट करने की पोस्ट डाली तो देखते ही देखते उनकी यह सूचना वायरल होने लगी थी। सोशल मीडिया पर सैकड़ों की संख्या में उनके प्रशंसकों ने पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा की सलामती की कामना भी की थी।