सुरेश गड़िया को कपकोट से भाजपा ने बनाया प्रत्याशी , पार्टी के अंदर ही अंदर सुगबुगाहट शुरू

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उत्तराखंड में आगामी विधानसभा की चुनावी तैयारियां अपने पूरे शबाब पर है. कपकोट विधानसभा सीट जो प्रदेश बर्फबारी वाले इलाकों में एक है. वहां भी चुनावी माहौल बेहद गर्म है.। इस बार 2022 विधान सभा चुनाव में बलवंत सिंह र्भौयाल ने चुनाव लड़ने से असमर्थता व्यक्त की थी , जिससे कई दिग्गजों ने अपनी दावेदारी पेश की थी , सुरेश गढ़िया पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के करीबी माने जाते हैं।वहीं सुरेश गढ़िया को टिकट मिलने पर पार्टी के अंदर ही अंदर सुगबुगाहट शुरू हो गई है।फिलहाल भाजपा ने युवाओं को रिझाने के लिए यह दांव ख्ेाला है।दूसरा जातीय समीकरण को देखते हुए भाजपा ने यह खेल खेला है।

कपकोट ( गजेन्द्र सिंह कपकोटी ) । उत्तराखंड में आगामी विधानसभा की चुनावी तैयारियां अपने पूरे शबाब पर है. कपकोट विधानसभा सीट जो प्रदेश बर्फबारी वाले इलाकों में एक है. वहां भी चुनावी माहौल बेहद गर्म है.सुरेश गढ़िया को टिकट मिलने से क्षेत्र की जनता ने खुशी जाहिर की है । पार्टी कार्यकत्ताओं व क्षेत्र के लोगों का बधाई देने का तांता लगा हुआ है। सुरेश गढ़िया कोश्यारी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के करीबी माने जाते हैं। वहीं युवाओं में उनका क्रेज है।
कपकोट विधानसभा सीट उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में आती है. 2017 में भारतीय जनता पार्टी से बलवंत सिंह भौर्याल ने कांग्रेस के ललित फर्स्वाण को 5982 मतों के अंतर से हराया था. 2012 में कांग्रेस से ललित फर्स्वाण 22,335 मतों के साथ जीत दर्ज किया था । यहां जातीय समीकरण के आधार पर देखें तो सबसे ज्यादा सवर्ण मतदाता करीब 65 प्रतिशत ब्राह्मण व क्षत्रिय हैं, जबकि 35 प्रतिशत एससी-एसटी और ओबीसी जाति के मतदाता है।कपकोट विधानसभा क्षेत्र में 108737 मतदाता हैं.,जो अपने मताधिकार का प्रयोग करेगें ।
शेर सिंह गढ़िया को टिकट न देने से समर्थकों में निराशा ,जबकि वे पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के सीएम बनने के बाद कपकोट से शेर सिंह गढ़िया विधायक बने थे।बागेश्वर जिले के जिला अध्यक्ष में रह चुके है। वह भी इस बार प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। लेकिन सुरेश को पूर्व और वर्तमान सीएम के करीबी होने का लाभ मिला।
कपकोट विधानसभा पर 2017 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी. देखना होगा 2022 के चुनाव में किसकी जीत होती है

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