उत्तराखंड में परियों का ताल नैनीताल .यहां पूर्णिमा की रात आती हैं परियां

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नैनीताल । उत्तराखंड में ऐसी कई जगहें हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वहां परियां बसती हैं। टिहरी का खैट पर्वत परीलोक के रूप में पूरी दुनिया में मशहूर है सरोवर नगरी नैनीताल में कभी 60 ताल थे। आज हममें से ज्यादातर लोग सिर्फ नैनीताल, भीमताल, नलदमयंती ताल, नौकुचियाताल, खुर्पाताल और सरिताताल जैसे करीब एक दर्जन तालों के बारे में जानते हैं, लेकिन यहां एक और रहस्यमयी तालाब है, जिसका नाम है परी ताल।
यहां परी ताल जाने के लिए भवाली-भीमताल के बीच खुटानी से मुक्तेश्वर की ओर जाना पड़ता है। यहां चांफी नाम की जगह से पैदल रास्ता है। ये जगह नैनीताल से करीब 23 किलोमीटर दूर है। चांफी से पैदल चलते वक्त दो नदियों को पार करना पड़ता है। कई लोगों ने यहां परियों को देखने का दावा भी किया है।यहां सड़क से करीब दो किलोमीटर दूर स्थित ये तालाब ताजे-मीठे पानी से लबालब रहता है। कहते हैं हर पूर्णिमा की रात यहां परियां स्नान करने आती हैं। इस दौरान अगर उन्हें यहां मौजूद कोई शख्स पसंद आ जाता है तो वो उसे अपने साथ परी लोक ले जाती हैं।
ये जगह इतनी खूबसूरत है कि आप सचमुच यहां आकर अपना दिल हार बैठेंगे। स्थानीय लोग आमतौर पर परी ताल से दूर ही रहते हैं। दरअसल इस ताल में पानी अत्यधिक गहरा है, हो सकता है लोगों को ताल में उतरने से रोकने के लिए परियों द्वारा हर ले जाने की दंतकथा गढ़ी गई हो। जो भी हो परी ताल है बहुत खूबसूरत। सुरम्य वादियों से घिरा ये ताल सचमुच परीलोक में होने का अहसास कराता है।

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