तीरथ सिंह रावत के सौ दिन का कार्यकाल, कई चुनौतियों को बेखूबी से निभाने में कामयाब
देहरादून। चुनावी साल सामने ,भाजपा सरकार का नेतृत्व परिवर्तन एक बड़ी चुनौती थी, ऐसी स्थिति में सत्ता की कमान तीरथ के हाथों में सौंपी । पूर्व सीएम त्रिवेंन्द्र सिंह रावत के सरकार में रहते कई ऐसे फैसले लिये जिसे भाजपा के मंत्री ,विधायक व जनता नाराज हो गई । सब ठीक -ठाक करने के लिए भाजपा ने तीरथ सिंह रावत को 10 मार्च को सीएम का पद पर बैठाया ।
आपको बता दें कि सबसे पहले गैरसैंण कमिश्नरी और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास प्राधिकरणों से उपजे जनाक्रोश , हरिद्वार में महाकुंभ की चुनौती और कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप से तीरथ सिंह रावत सरकार को जूझना पड़ा। 100 दिन के छोटे से कार्यकाल में एक के बाद एक कई चुनौती से जूझते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने विपरीत हालात में हर रूकावट का सामना करने के अलावा उनसे निपटने की रणनीति में कामयाबी हासिल की है।
2022 के विधानसभा चुनाव में सालभर से कम समय शेष रहा है । पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत के कुछ फैसलों से उपजे असंतोष को कम करने के लिए लिए तीरथ सिह रावत ने सीघ्र गैरसैंण कमिश्नरी पर पिछली सरकार के फैसले पर ब्रेक लगा दिए वही दूसरा फैसला जिला विकास प्राधिकरणों के ग्रामीण क्षेत्रों में हस्तक्षेप को दूर करने का लिया। आम जनता को राहत देने के लिए सरकार ने राज्य खाद्य योजना के करीब 10 लाख से ज्यादा राशनकार्डधारकों को तीन माह तक अतिरिक्त खाद्यान्न लेने का अहम फैसला लिया। ं कोरोना काल के मौके पर 23 लाख से ज्यादा राशनकार्डधारकों को सस्ती दर पर दो किलो चीनी देने की योजना को अंजाम दिया । इसके अलावा विपक्ष के आरोपों को बेखूबी से खंडन करने में कामयाब रहे है। आने वाले विधान सभा चुनाव में भाजपा का सीएम का चेहरा तीरथ सिंह रावत ही होगें ं अब छोटे से कार्यकाल में जनता व पार्टी नेताओं के बीच से खरा उतरने में कितने कामयाब होते है।