किराएदारों के संबंध में मकान मालिकों को देना होगा शपथपत्र, पुलिस एक्ट के तहत नई व्यवस्था

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अभी धारी तहसील में सरना गांव में 11 नाली जमीन दूसरे समुदाय के लोगों ने खरीदी है जो अलीगढ़ व संम्भल के रहने वाले है। इसी तरह से सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के धारचूला के गांवों में बसने लगे है । अगर अभी से बाहरी लोगों के दूसरे समुदाय पर रोक नहीं लगे तो पहाड़ के खली हुए गांवों में कब्जा हो जायेगा
पुलिस मुख्यालय के अधिकारिक सूत्रों के अनुसार इसके लिए पुलिस एक्ट की धारा 87 के अंतर्गत धारा 53 (3) के संबंध में नया नियम बनाए जाने की तैयारी है। मकान मालिक या दुकानदार मालिक और सार्वजनिक परिसर के स्वामी प्रारूप के तहत बाहर से आए लोगों का विवरण तो देंगे ही। साथ में उनके दस्तावेज सही हैं या नहीं इसके संबंध में एक शपथपत्र भी देंगे। यही नहीं इसके साथ मकान मालिक ही किराएदार व मजदूरों के माध्यम से आई उनके मूल थाने की रिपोर्ट भी देगा। इसमें पर्यटक शामिल नहीं होंगे।
सरकार ने भी दिए थे निर्देश
पिछले दिनों सरकार ने भी बाहर से आकर बसने वालों पर नजर रखने के निर्देश दिए थे। इस संबंध में जिलों में एक निगरानी समिति गठित करने को भी कहा गया था। बताया जा रहा है कि बीते कुछ वर्षों में उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों पर बाहर से आए लोग काबिज हुए हैं। यहां तक की दूसरे प्रदेश के अधिकतर दूसरे समुदाय के लोग सीमांत जनपदों मं बसने षुय हो गये है कुछ लोगों ने तो गरीब तबके लोगों से तीन गुना जमीन की किमत देकर जमीन खरीद ली है इसमें एक सम्प्रदाय का भी जिक्र किया गया था। वर्तमान में इसी के क्रम में सत्यापन अभियान चलाए जा रहे हैं। ताकि, संदिग्ध लोगों पर नजर रखकर कार्रवाई की जा सके।

पुलिस एक्ट की धारा 53 (3) में व्यवस्था है कि कोई मकान मालिक उनके यहां रहने वाले किराएदारों, मजदूरों आदि का निर्धारित प्रपत्र भरकर किरायेदासर का विवरण पुलिस को देते हैं। यही सत्यापन का आधार बनता है अब इसमें बदलाव किए गये है जिसे और सख्त हो जायेगा

देहरादून । बाहर से आकर बसे लोगों के संबंध में अब सिर्फ दस्तावेज के साथ-साथ शपथपत्र भी देना होगा। पुलिस एक्ट की विभिन्न धाराओं में इस आशय का संशोधन करने के लिए पुलिस मुख्यालय ने प्रस्ताव शासन को भेजा है।
बता दें, पुलिस एक्ट की धारा 53 (3) में व्यवस्था है कि कोई मकान मालिक उनके यहां रहने वाले किराएदारों, मजदूरों आदि का तय फार्मेट में विवरण पुलिस को देते हैं। यही सत्यापन का आधार बनता है। इसी के आधार पर किराएदार और मजदूरों के संबंधित थानों से सत्यापन कराया जाता है, लेकिन अब मुख्यालय ने इसे और अधिक कड़ा करने का प्रस्ताव भेजा है

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