150 साल का अल्मोड़ा जेल अगस्त क्रांति की गवाह है , देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसी जेल में रह कर आजादी की लड़ाई लड़ी थी
अल्मोड़ा जेल में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, हरगोविन्द पंत, विक्टर मोहरन जोशी, देवी दत्त पंत, खान अब्दुल गफ्फार खां सहित सैकड़ों आंदोलनकारियों ने इस जेल में रहकर आजादी की लड़ाई लड़ी है.
अल्मोड़ा की ऐतिहासिक जेल आजादी के आंदोलन की गवाह रही है. यहीं रहकर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा के कुछ अंश लिखे थे. पंडित नेहरू के अलावा कई अन्य स्वतंत्रता सेनानी भी इस जेल में रहे.। आज भाजपा तिरंगे को लेकर राजनीति कर रही है।
अल्मोड़ा. उत्तराखंड के इस शहर की ऐतिहासिक जेल स्वतंत्रता आंदोलन की साक्षी रही है. इस जेल को 1872 में अंग्रेजों ने बनवाया था. अगस्त क्रांति की गवाह रही इस जेल में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, हरगोविन्द पंत, विक्टर मोहरन जोशी, देवी दत्त पंत, खान अब्दुल गफ्फार खां सहित सैकड़ों आंदोलनकारियों ने इस जेल में रहकर आजादी की लड़ाई लड़ी है. उत्तराखंड के अलग राज्य बनने और पहले भी इस ऐतिहासिक जेल को पर्यटकों के लिए खोलने की मांग उठती रही है. यही नहीं इसको लेकर योजना भी बनाई गई, लेकिन कई दशकों से योजना की फाइल दफ्तरों में दौड़ रही है.
आजादी की लड़ाई में अल्मोड़ा आंदोलनकारियों का मुख्य केन्द्र रहा. यहां की जेल में प्रमुख आंदोलनकारियों को अंग्रेजों द्वारा बंद किया गया था. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू दो बार इस जेल में बंद रहे. पंडित नेहरू ने अपनी पुस्तक मेरी आत्मकथा के कुछ अंश भी इसी जेल में लिखे. पं. नेहरू की चारपाई, कुर्सी, चरखा, खाने के बर्तन जेल के नेहरू वार्ड में आज भी रखे हैं.
हर वर्ष 9 अगस्त को अगस्त क्रांति के रूप में शहीदों को याद किया जाता है. अल्मोड़ा आने वाले पर्यटक भी ऐतिहासिक जेल के देख सकें और नेहरू वार्ड का भ्रमण कर सकें. राज्य बनने के बाद ही अल्मोड़ा के नेहरू वार्ड को पर्यटकों के लिए खोलने की मांग समय-समय पर उठती रही लेकिन भाजपा और कांग्रेस बारी-बारी से सत्ता में रहने के बाद योजना को फाइलों में दौड़ाते रहे, लेकिन अगस्त क्रांति की गवाह रहे जेल को पर्यटकों के लिए नही खोला जा सका.