नौकरी के नाम पर भाजपा सरकार कर रही है युवाओं से धोखा

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सार्वजनिक मंचों से अपने भाषणों में नेता युवाओं से स्वामी विवेकानंद की राह पर चलने को कहते हैं। लेकिन इन नेताओं ने शायद ही युवाओं के लिए कुछ किया हो। हालात यह हैं कि उत्तराखंड में हर साल बेरोजगारी का ग्राफ बढ़ते ही जा रहा है । हर साल लगभग आठ लाख बेरोजगार युवा पंजीकृत होते हैं, मगर इनमें से रोजगार 1 प्रतिशत को भी नौकरी नहीं मिल पाती है। इस साल राज्य में अब तक आठ लाख में से केवल 1398 युवाओं को रोजगार मिला है।औद्यौगिक संस्थानों में प्रदेश के युवाओं की उपेक्षा की जाती है ं यू0 पी0 बिहार के युवाओं को तब्बजों इन औद्यौगिक संस्थानों में नौकरी दी जाती है जबकि 70 प्रतिशत केवल यहां के युवाओं के लिए दिखावा है उाराखंड के नेता भी इन्हें संरक्षण देते है। भाजपा सरकार युवाओं की ऐसी बेकद्री कर रही है, यहां के नेता युवाओं से झूठ बोलते है।

ये बताते है आंकड़ें
वर्ष पंजीकृत बेरोजगार रोजगार मेले रोजगार मिला रोजगार प्रतिशतः
2016-17 9,26,308 106 2773 0.29
2017-18 8,91,141 172 7489 0.84
2018-19 8,29,139 105 5678 0.68
2019-20 7,78,077 84 2709 0.34
2020-21 8,07,722 46 1398 0.17

हल्द्वानी । चुनाव से पहले रोजगार देने के नाम पर युवाओं को खूब छला जाता है। सरकारी नौकरी की भर्ती निकलते ही एक-एक पद पर हजारों युवा आवेदन करते हैं। यही हाल प्राइवेट नौकरी का भी है। हैरानी की बात यह कि उत्तराखंड में पिछले पांच साल में प्राइवेट सेक्टर में रोजगार के मौके 50 फीसदी कम हो गए हैं। जो सेवायोजन विभाग हर साल औसतन 100 से 150 रोजगार मेले लगाया करता था, वही अब 50 रोजगार मेले भी नहीं लगा पा रहा है।
रोजगार मेले लगाने के बावजूद राज्य में रोजगार की दिशा में किए जा रहे तमाम प्रयास नाकाफी ही साबित हो रहे हैं। पिछले पांच सालों में केवल 20047 युवाओं को ही रोजगार मिल पाया। जबकि, हर साल बेरोजगारों की संख्या सात लाख से ऊपर ही रही है।
रोजगार देने के नाम पर दिखावा
सरकारों द्वारा अपनी पीठ थपथपाने के लिए सेवायोजन विभाग की मदद से रोजगार मेले तो लगा दिए जाते हैं, मगर इनसे कितनों को रोजगार मिलता है, इसकी समीक्षा शायद ही कभी की हो। 2016-17 से लेकर अब तक ऐसा कोई साल नहीं रहा है, जिसमें रोजगार मेलों के माध्यम से कुल बेरोजगारों की संख्या के 1 प्रतिशत भी नौकरी मिली हो।

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