तीरथ सिंह रावत के सीएम की कुर्सी पर बने रहने के लिए 10 सितम्बर तक विधान सभा चुनाव जीतने की चुनौती
देहरादून । तीरथ सिंह रावत पर अब एक बड़ी चुनौती सामने आ गई ,विधान सभा उपचुनाव की वक्त बहुत कम रहा है ऐसे हालातो में विपक्ष का वार लाजिम हैमुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं।
एक ओर विपक्ष विधानसभा कार्यकाल एक वर्ष से कम शेष रहने पर उपचुनाव टालने के संवैधानिक प्रावधान पर जोर दे रहा है वहीं, सीएम के पास बिना सदस्य चुने हुए छह माह बाद दोबारा शपथ लेने का विकल्प भी नहीं है। इन सब चिंताओं के पार यदि तीरथ 10 सितंबर तक विधायक निर्वाचित होते हैं तो उन्हें अगले 14 दिन में लोकसभा से इस्तीफा देना होगा। इसके बाद विस चुनाव तक गढ़वाल लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव हो सकते हैं। । विपक्ष संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए विधानसभा चुनाव में एक साल से कम समय शेष रहने पर उपचुनाव टालने पर जोर देर रहा है। चूंकि उत्तराखंड में विधान परिषद नहीं है और मनोनयन से भी सिर्फ एक सीट एंग्लो इंडियन समुदाय से भरी जा सकती है(जो पहले भरी है), इस कारण तीरथ के सामने कुर्सी पर बने रहने को 10 सितंबर तक विधानसभा चुनाव जीतने की मजबूरी है। जन प्रतिनिधित्व कानून का हवाला देते हुए विधायी मामलों के जानकार और विधानसभा के पूर्व सचिव जगदीश चंद्र कहते हैं कि यदि विधानसभा का कार्यकाल एक साल से कम बचा हो या भारत सरकार निर्वाचन आयोग को देश के हालात को देखते हुए चुनाव टालने की सिफारिश करे और आयोग सिफारिश से संतुष्ट हो तो चुनाव टाले जा सकते हैं। चंद्र के मुताबिक, 2019 में संदीप यशवंत राव बनाम भारत निर्वाचन आयोग के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा की शेष अवधि का निर्धारण उपचुनाव के परिणाम आने के बाद से विधानसभा भंग होने तक की बताई है।