श्रम विभाग झूठे आंकड़े पेश कर रही है

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रुद्रपुर। जिले में तमाम छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां लगी हैं। इनमें से अधिकतर व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और कारखानों में बाल श्रमिक काम करते दिखते हैं, लेकिन श्रम विभाग में उपलब्ध अभिलेखों में जिला बालश्रम मुक्त हो गया है। श्रम विभाग ने दो वर्षों में जिलेभर में कुल 73 बाल श्रमिक चिन्हित किए गए, लेकिन मेडिकल जांच में मात्र नौ बच्चों को ही बाल श्रमिक की श्रेणी में रखकर उनके सेवायोजकों के खिलाफ कार्रवाई की गई। वर्ष 2016 के लिए अब विभाग से दो सप्ताह के भीतर सर्वेक्षण रिपोर्ट मांगी गई है। बाल श्रम कानून के तहत व्यवसायों, होटल, ढाबों, वर्कशॉप, दुकान, वाणिज्य अधिष्ठान, निर्माण कार्य, ईंट भट्ठे के कारखानों आदि में काम करने वाले 9 वर्ष से 13 वर्ष से कम आयु के बच्चों को बाल श्रमिक माना जाता है। े सेवायोजकों के खिलाफ बाल श्रम कानून के तहत मुकदमा दर्ज कर उनसे प्रति बाल श्रमिक 20 हजार का अर्थदंड वसूलता है,लेकिन विभाग के अधिकारीयों से इससे कोई लेनादेना नहीं उन्हें तो केचल कागजों में सही आकड़ें चाहिए कई लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि विभाग के लोग सेवायोजकों से अवैध वसूली भी करते है

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