5 राज्यों के चुनाव परिणाम से राहुल गांधी की राह, हार पर बढ़ेगी अंदरूनी कलह
दिल्ली । राज्यों के विधानसभा चुनावों में किस पार्टी की हार और किसकी जीत होगी, यह फैसला परिणाम घोषित होने के बाद होगा। पर यह चुनाव हार या जीत दोनों सूरतों में कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति पर असर डालेंगे। पार्टी पंजाब में सत्ता बरकरार रखते हुए उत्तराखंड जीतने में सफल रहती है तो कांग्रेस की आगे की राह कुछ आसान हो सकती है। पर हार की सूरत में अंदरुनी कलह और बढ़ सकती है।
पिछले कई विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को लगातार हार मिली है। ऐसे में पार्टी पांच राज्यों के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाती है, तो विपक्ष में उसका रुतबा कमजोर होगा। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कांग्रेस को अलग थलग कर विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रही हैं। वहीं, पार्टी के अंदर भी असंतुष्ट नेताओं को शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाकर कटघरे में खड़ा करने का मौका मिल जाएगा।
जीत पर विपक्षी दलों में बढ़ेगा रुतबा
वहीं, पार्टी पंजाब और उत्तराखंड के साथ एक और राज्य में सत्ता तक पहुंची, तो विपक्ष में उसका रुतबा बढ़ेगा। पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं का सिलसिला भी रुक जाएगा और असंतुष्ट नेताओं के हौसले भी पस्त होंगे। वहीं, गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव के लिए पार्टी के हौसले बुलंद होंगे। इसका असर सितंबर-अक्तूबर में होने वाले कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव पर भी पड़ेगा।
‘पूरी ताकत से लड़ रही कांग्रेस’
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इन चुनावों के परिणाम कांग्रेस के लिए काफी अहम साबित होंगे। पार्टी को इसका एहसास है, इसलिए पार्टी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रही है। उत्तर प्रदेश में चुनाव भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन के बीच है। इसके बावजूद पार्टी अपनी जमीन तलाशने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। क्योंकि, इसका असर आंतरिक चुनाव पर भी होगा।
बेहतर प्रदर्शन से आसान होगी राहुल की राह
इन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहता है तो पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के दोबारा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने की मांग जोर पकड़ेगी। इन चुनाव में वह ही पार्टी की तरफ से प्रचार का जिम्मा संभाल रहे हैं। वहीं, कांग्रेस का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा तो पार्टी में अंदरुनी कलह बढ़ेगी। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पहले से ही मुख्यमंत्री पद को लेकर झगड़ा बरकरार है।