बिचौलिये कास्तकरों का कर रहे शोषण
बिचौलिये कास्तकरों से टमाटर खरीद रहे है 8 रू प्रति किलो और बाजार में बिक रहा है 40 रू0 किलो ,चुनावी साल में भी सरकार कास्तकारों की सुध नहीं ले रही है ,उचित मूल्य न मिल पाने से मायूस है कास्तकार
उत्तरकाशी । यमुना घाटी के काश्तकार इस बार खासे मायूस हैं। टमाटर की तो अच्छी पैदावार हो रही है लेकिन, अच्छे दाम नहीं मिल पा रहे हैं। देहरादून और विकासनगर की मंडी में टमाटर की 25 किलो की क्रेट के दो सौ से लेकर ढाई सौ रुपये तक ही दाम मिल रहे हैं। जिसमें देहरादून तक टमाटर की क्रेट पहुंचाने और काश्तकार के आने जाने का खर्चा भी नहीं निकल रहा है। जबकि बाजार में टमाटर 30 से 40 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। ऐसे में बिचौलिये चांदी काट रहे हैं। काश्तकारों के सामने यह परेशानी मंडी न होने के कारण उत्पन्न हो रही है। काश्तकारों ने टमाटर का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने की भी मांग उठाई है।
काश्तकार नरेश नौटियाल कहते हैं कि कोरोना संक्रमण काल में काश्तकारों ने अपने खेतों में जमकर मेहनत की थी, जिससे टमाटर की फसल का उत्पादन भी सही हो रहा है। लेकिन, मंडियों में टमाटर के भाव बेहद ही कम हैं। देहरादून पहुंचाने के बाद भी काश्तकार को केवल आठ से दस रुपये प्रति किलो के हिसाब से दाम मिल रहे हैं, जिससे काश्तकारों में मायूसी छायी हुई है। काश्तकार देवेंद्र रावत, बलवीर सिंह, अजब सिंह ने कहा कि किसानों को बचाने के लिए सरकार को जल्द से जल्द टमाटर का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए, जिससे काश्तकारों को उनकी उपज का सही दाम मिल सके।