पिता की सीट, बेटियों की दावेदारी, मुकाबले काफी दिलचस्प

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पिता की सीट से दो बेटियां चुनावी मैदान में हैं। जी हां…पूर्व सीएम भुवन चंद खंडूड़ी और हरीश रावत की बेटियां कोटद्वार और हरिद्वार ग्रामीण सीट से चुनावी ताल ठोक रही हैं। ये मुकाबले काफी दिलचस्प होंगे।

चुनाव में एक गजब का संयोग सामने आया है। मुख्यमंत्री रहते चुनाव हार जाने वाले दो नेताओं की बेटियां इस बार अपने पिता की ही सीटों पर ताल ठोक रही हैं और सामने वही नेता, जिन्होंने पिता को पटखनी दी। 2012 के विधानसभा चुनाव में कोटद्वार से तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी, कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी से पराजित हुए। भाजपा तब महज एक सीट से पिछड़ने के कारण सत्ता की होड़ से बाहर हो गई थी। इस बार नेगी को कोटद्वार में टक्कर दे रही हैं खंडूड़ी की बेटी ऋतु। हरिद्वार ग्रामीण सीट पर 2017 में तब के मुख्यमंत्री हरीश रावत, भाजपा के स्वामी यतीश्वरानंद से हार गए। अब हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत प्रत्याशी हैं और सामने वही यतीश्वरानंद। रावत अब भी कांग्रेस से मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। 10 मार्च को ही पता चलेगा कि दोनों बेटियों की चुनावी किस्मत कौन सा मोड़ लेती है।

राजनीतिक पंडित हैरान, नेताजी भी परेशान

उत्तराखंड में विधानसभा का चुनाव विषम परिस्थितियों में हो रहा है। एक तरफ कोरोना का साया तो दूसरी तरफ मौसम के साथ ही यहां का विषम भूगोल। कोरोना की गाइडलाइन के मद्देनजर राज्य में बड़ी सभाओं, रैलियों, रोड शो, बाइक रैली पर प्रतिबंध है। ऐसे में सभाएं आदि न होने के कारण राजनीतिक पंडित जनता के मूड को भांप नहीं पा रहे हैं। इससे उनका हैरान, परेशान होना स्वाभाविक है, क्योंकि चुनावी गणित की स्पष्टता को लेकर उनके बीच भी तो जंग कम नहीं है। उस पर तस्वीर का दूसरा पहलू देखें तो राजनीतिक दलों व प्रत्याशियों के माथों पर भी लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। एक तो चुनाव प्रचार के लिए कम समय है, उस पर पहाड़ की विषम परिस्थितियां और मौसम का बिगड़ा मिजाज। बारिश-बर्फबारी के बाद समूचा उत्तराखंड कड़ाके की सर्दी की चपेट में है, लेकिन फिर भी नेताजी के माथे पर पसीना छलक रहा है।

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