हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा पर लगाई रोक,कहा लोगों की भावनाओं का ध्यान रखने के बजाय कोरोना वायरस के ‘डेल्टा प्लस से सबको बचाना अहम

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नैनीताल। ( मनोज शर्मा) उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा पर रोक लगाने का राज्य सरकार के फैसले को पलट दिया है. उत्तराखंड में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की सरकार ने राज्य के निवासियों के लिए एक जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू करने का निर्णय़ लिया था, लेकिन सोमवार को हाईकोर्ट ने इस पर अमल रोक दिया.कोविड-19 के बीच चारधाम यात्रा के दौरान पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए रावत सरकार की व्यवस्थाओं पर असंतोष जाहिर करते हुए हाईकोर्ट की खंडपीठ ने उत्तराखंड कैबिनेट के फैसले पर रोक लगा दी. इसमें चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों के निवासियों को एक जुलाई से हिमालयी धामों के दर्शन की अनुमति दी गई थी.

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 25 जून को हुई कैबिनेट की बैठक में एक जुलाई से उन जिलों के निवासियों को मंदिरों के दर्शन की अनुमति देने का निर्णय लिया गया था जहां वे स्थित हैं. चमोली जिले के निवासियों को बदरीनाथ, रुद्रप्रयाग जिले के निवासियों को केदारनाथ तथा उत्तरकाशी जिले के निवासियों को गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के दर्शन की मंजूरी दी गई थी. हाईकोर्ट ने कोरोना महामारी के बीच यात्रा संचालन में जोखिम से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह रोक लगाई.

चारधाम यात्रा के लिए रावत सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह कुंभ मेले के दौरान जारी की गई गाइडलान की कॉपी है.हाईकोर्ट ने तीर्थ स्थलों से जुड़ी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उच्च सरकार से मंदिरों में चल रहीं रस्मों और समारोहों का देशभर में लाइव प्रसारित करने की व्यवस्था करने को कहा है. उत्तराखंड सरकार की इस आपत्ति पर कि इन रस्मों का प्रसारण धार्मिक कारणों के चलते सही नहीं होगा, अदालत ने कहा कि वह पुजारियों की भावनाओं के प्रति सहानुभूति रखती है.फिर भी यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि जब शास्त्र लिखे गए, उस समय महत्वपूर्ण घटनाओं के प्रसारण के लिए टीवी जैसी तकनीक नहीं थी.इसने यह भी कहा कि मौजूदा हालात में कुछ लोगों की भावनाओं का ध्यान रखने के बजाय कोरोना वायरस के ‘डेल्टा प्लस स्वरूप से सबको बचाना ज्यादा अहम है.

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