मुफ्त बिजली के नाम पर नेता, ऊॅंची से ऊचीं आवाज में भौंक रहे है
ये नेता व मंत्री हमेशा प्रदेश की जनता से झूठ बोलते आ रहे है अब चुनाव है ये कुछ भी बोल देगें इनकी बात पर अब दम नहीं है पहिले युवाओं से झूठा बोला अब तो हद कर दी है कि भाजपा कह रही है 100 यूनिट बिजली मुफ्त देगें ,आप पार्टी 300 यूनिट मुफ्त , व कांग्रेस सबसे ऊंची बोली लगा रही है वह कह रही है 400 यूनिट मुफ्त इन राजनैतिक पार्टियों के नेता प्रदेश की जनता का मजाक बनाकर रख दिया है। ये नेता पहिले अपने गलेवान में झांक देखें कि हम कितने दूध के धुले है। देवभूमि का मजाक बनाकर रख दिया है – विनोद घडियाल राज्य आन्दोलनकारी उत्तराखंडी
देहरादून । भाजपा ने 100, आप ने 300 और कांग्रेस का 400 फ्री बिजली देने का वादा किया है। हकीकत यह है कि ऊर्जा निगम अपने संसाधनों से दो सौ या तीन सौ यूनिट तो दूर, एक यूनिट भी फ्री देने की स्थिति में नहीं है। सालाना दो अरब रुपये से ज्यादा के घाटे में रहने वाला ऊर्जा निगम, अपने खर्चे ही बमुश्किल निकाल पा रहा है। ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने हाल में घोषणा की थी कि सरकार राज्य में 100 यूनिट तक बिजली फ्री व 200 यूनिट तक बिजली के बिल पर 50ः की छूट देगी। इसमें पहली प्राथमिकता, यूपीसीएल के संसाधनों से ही बिजली फ्री देने की रहेगी और जरूरत पड़ने पर सरकार की मदद ली जाएगी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वित्त विभाग इसके लिए तैयार होगा? वो भी तब जबकि वर्तमान में यूपीसीएल की पेंशन का भी भार सरकार के ऊपर है। पेंशनर्स को पेंशन का भुगतान ट्रेजरी से होता है। 25 करोड़ रुपये प्रतिमाह वेतन का खर्च निगम स्वयं उठाता है। निगम की स्थिति ये है कि बैंकों का ओवरड्रा 500 करोड़ रुपये के करीब रहता है।
राज्य में 100 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले करीब सात लाख लोगों को फ्री बिजली देने पर करीब 210 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसके अलावा प्रदेश में 200 यूनिट तक की बिजली खर्च की सीमा के दायरे में लगभग 13 लाख उपभोक्ताओं आते हैं। उत्तराखंड में कुल
सरकार को बतौर रॉयल्टी मिलने वाली 12.5ः बिजली का प्रयोग यूपीसीएल ही करता है। इसके बदले में उसे सरकार को 1200 करोड़ रुपये सालाना देने होते हैं। यूपीसीएल ने कभी 900 करोड़ से ज्यादा नहीं दिए। साथ ही एनटीपीसी,एनएचपीसी समेत कई कंपनियों से ली जाने वाली बिजली के भुगतान के लिए यूपीसीएल को नौ प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण लेना पड़ा।