विकास से कोसों दूर मुनस्यारी विकास खंड के तोक ,2017 में देखी गांव के लोगों ने बिजली

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पिथौरागढ़ । मुनस्यारी विकासखंड के देरुखा तोक के लोगों ने आजादी के बाद भी विकास का एक पत्थर लगा नहीं देखा। हजारों एकड़ जमीन में रहने वाले ग्रामीणों के पास पुराने जर्जर मकान तो हैं लेकिन जिस जमीन पर मकान बने हैं वह भी अपनी नहीं है। नेता तो चुनाव में दल-बल के साथ वोट मांगने पहुंचते हैं लेकिन गांव के लोगों को आज भी यहां घने जंगल में अकेले ही पार करना पड़ता है। ऐसे में जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है।
मलोंन ग्राम पंचायत का देरुखा तोक सड़क से चार किमी दूर है। आजादी के बाद तमाम गांव और तोकों तक सड़कें बनीं लेकिन देरुखा तोक तक सड़क भी नहीं बन पाई। यहां के लोगों को पैदल ही गांव तक जाना पड़ता है। कालामुनि के ठीक नीचे स्थित इस गांव तक पहुंचने के लिए बियाबान जंगल के रास्ते से होकर चलना पड़ता है। पहाड़ियों को काटकर बनाए गए संकरे रास्तों में काफी संभलकर चलना पड़ता है। यदि थोड़ा सा भी चूके तो एक हजार मीटर से भी गहरी खाई में गिरने का खतरा रहता है। इस गांव में लगभग 100 वर्षों से जो परिवार रह रहे थे, उनमें से अधिकतर अब पलायन कर चुके हैं। इस समय गांव में केवल आठ परिवार रह रहे हैं। तमाम कठिनाइयों के बीच जीवन यापन कर रहे इन ग्रामीणों के अपने मकान भी हैं और पांच-छह हेक्टेअर खेत भी हैं लेकिन यह जमीन ग्रामीणों की नहीं बल्कि वन विभाग की है। ग्रामीणों की अपनी जमीन नहीं होने से यहां स्कूल भवन तक नहीं बन सका। इसी तोक की पुष्पा देवी ग्राम प्रधान हैं।
स्कूल के लिए स्वीकृत धन भी हो गया वापस
नाचनी। देरुखा तोक में जिस जमीन पर आज से एक सौ साल पहले अनुसूचित जाति के यह परिवार बसे वह जमीन इन ग्रामीणों के नाम पर नहीं हो सकी। यहां तक कि बंदोबस्ती के समय भी इनकी सुध नहीं ली गई। इसका नतीजा यह हुआ कि यहां किसी भी तरह का विकास कार्य नहीं हो पा रहा है। इस तोक के लिए वर्ष 2010-11 में एक प्राथमिक स्कूल स्वीकृत हुआ। चार-पांच साल छप्पर में स्कूल चला। जब स्कूल भवन निर्माण के लिए धन आया तो ग्रामीणों की भूमि न होने से गांव में स्कूल भवन ही नहीं बन सका और स्वीकृत राशि शासन को वापस हो गई। इसके बाद स्कूल ही बंद हो गया। अब यहां के बच्चों को कई मील पैदल चलकर स्कूल पहुंचना पड़ता है।
पशुपालन है सभी परिवारों की आजीविका का साधन
नाचनी। देरुखा तोक में आठ परिवार निवास करते हैं। इनमें रामीराम, पुष्कर राम, नंदी देवी, धाना देवी, धन राम, हयात राम, ललित राम, रंजीत राम शामिल हैं। इन सभी परिवारों की आय का एकमात्र साधन पशुपालन ही है।
मलोंन के इस देरुखा तोक के परिवारों ने 2017 में बिजली देखी थी। इससे पहले यह परिवार केरोसिन के तेल या फिर चीड़ के छिलके जलाकर रात्रि प्रकाश की व्यवस्था करते थे। गांव में कई स्रोत होने से पानी का संकट भी नहीं है। हर घर नल योजना के तहत योजनाएं बनीं हैं।

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