उत्तराखंड में आबादी नहीं भौगोलिक आधार पर हो परिसीमन
नौ पर्वतीय जिलों के 40353 वर्ग किमी क्षेत्रफल में 40 विधानसभा सीटें व चार मैदानी जिलों के 12214 वर्ग किमी क्षेत्रफल में 30 सीटें हैं।जब 2002 में परिसीमन हुआ तो आबादी घटने की वजह से पहाड़ के नौ जिलों की विधानसभा सीटें 40 से घटकर 34 जबकि मैदान की 30 से बढ़कर 36 हो गई।
नैनीताल। पहाड़ से बढ़ते पलायन के बीच 2022 में प्रस्तावित उत्तराखंड विधानसभा सीटों का परिसीमन जनसंख्या के बजाय भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर करने की मांग उठने लगी है। जनसंख्या के बजाय भौगोलिक क्षेत्रफल के अनुसार परिसीमन करने की मांग वाली जनहित याचिका को हाई कोर्ट ने निस्तारित कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को प्रत्यावेदन सरकार को देने और सरकार को इस पर निर्णय लेने को कहा है।
राज्य के पहाड़ी हिस्सों से लगातार हो रहे पलायन से जनसंख्या का घनत्व कम हो रहा है। जिसके चलते पहाड़ में विधानसभा की सीटें कम हो रही हैं। याचिका में कहा गया है कि पहाड़ की सीटें कम होने से विधानसभा में पहाड़ के मुद्दों की पैरवी कम हो जाएगी। याचिका में पहाड़ों से पलायन रोकने व पर्वतीय क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी।
राज्य मेें एक लाख की आबादी पर विधानसभा सीटों का निर्धारण किया गया है। नौ पर्वतीय जिलों के 40353 वर्ग किमी क्षेत्रफल में 40 विधानसभा सीटें व चार मैदानी जिलों के 12214 वर्ग किमी क्षेत्रफल में 30 सीटें हैं।जब 2002 में परिसीमन हुआ तो आबादी घटने की वजह से पहाड़ के नौ जिलों की विधानसभा सीटें 40 से घटकर 34 जबकि मैदान की 30 से बढ़कर 36 हो गई। जनहित याचिका में अविभाजित उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रमाशंकर कौशिक की अध्यक्षता में बनी समिति की सिफारिशें लागू करने की मांग की गई है। याचिका में पलायन आयोग की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, जिसमें पहाड़ से लगातार हो रहे पलायन का जिक्र है। समिति ने सिफारिशों में पर्वतीय जिलों को नए राज्य में फोकस किया है।
2011 की जनगणना में राज्य के पौड़ी गढ़वाल व अल्मोड़ा जिले में बड़ी संख्या में पलायन होने की तस्वीर उजागर हो चुकी है। पलायन आयोग भी पहाड़ से हो रहे पलायन को लेकर चिंताजनक तस्वीर पेश करती रिपोर्ट जारी कर चुका है। ऐसे में अब यह मुद्दा फिर जोर पकड़ सकता है।