उत्तराखंड में सहायक अध्यापकों के 2648 पदों को भरने की प्रक्रिया अधर में लटकी
देहरादून (मनोज सुरकाली) I प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों के 2648 पदों को भरने की प्रक्रिया अधर में लटक गई। उच्च न्यायालय की ओर से भर्ती पर रोक के फैसले के विरोध में शिक्षा विभाग ने विधि विभाग से राय मांगी थी। विधि विभाग ने फैसला शिक्षा विभाग के विवेक पर छोड़ दिया है। नतीजा यह है कि शिक्षा विभाग एक बार फिर विधिक राय लेने जा रहा है।
आपको बता दें कि प्रदेश में शिक्षक भर्ती को विभाग ने अलग-अलग आदेश जारी कर खुद उलझाया हुआ है। वर्ष 2020-21 में सहायक अध्यापकों के रिक्त पदों को भरने के लिए आवेदन मांगे गए थे। भर्ती के लिए उत्तराखंड के साथ ही दूसरे राज्यों के भी कुछ एनआईओएस से डीएलएड अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। उनका कहना था कि एनआईओएस से डीएलएड को मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं एनसीटीई से मान्यता मिली है। तब प्रदेश ने इनके प्रमाण पत्र को मान्य बताते हुए 15 जनवरी 2021 को शासन की ओर से आदेश जारी किया था। तत्कालीन शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि एनआईओएस से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को इस भर्ती में शामिल करने की अनुमति दी जाती है।
10 फरवरी के आदेश को रद्द
10 फरवरी 2021 को शासन ने एक अन्य आदेश जारी किया, जिसमें 15 जनवरी 2021 के आदेश को रद्द कर दिया। आदेश में कहा गया कि सरकार की ओर से एनआईओएस से डीएलएड को शिक्षक भर्ती में शामिल नहीं करने का निर्णय लिया गया है। शासन के इस आदेश के खिलाफ एनआईओएस से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थी हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने पिछले महीने अभ्यर्थियों को शिक्षक भर्ती में शामिल नहीं करने के 10 फरवरी के आदेश को रद्द कर दिया। इस पर विभाग ने विधि विभाग से सुझाव मांगा था।
रविनाथ रमन शिक्षा सचिव ने जानकरी दी कि शिक्षक भर्ती को लेकर हाईकोर्ट के फैसले पर विधि विभाग से सुझाव मांगा था, विधि विभाग ने इस फैसले पर अपील में जाएं या नहीं इसे स्पष्ट किए बिना हाईकोर्ट के आदेश को ज्यों का त्यों भेज दिया। अब इसे फिर से विधि विभाग को आवश्यक सुझाव के लिए भेजा जा रहा है।
बेरोजगार पिछले कई वर्षों से नौकरी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन विभाग और सरकार हमारे मामले में उदासीन है, सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट नहीं गई तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।