रामगंगा पर पिथौरागढ़ में एक प्रस्तावित पुल 15 साल से नहीं बना है, तीन सीटों पर समीकरण बदलनें के आसार

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पिथौरागढ़ । उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में चुनावी हवा का रुख कब बदल जाए, कहना कठिन होता है. होता रहा है कि कोई छोटी सी दिखने वाली बात भी हार-जीत तय कर देती है. पिथौरागढ़ के आंवलाघाट का पुल ऐसी ही छोटी दिखने वाली बात है. पर्यटन सर्किट की बात हो, दूरी कई किलोमीटर कम होने की बात हो या आस्था की बात हो, यह नहीं बन सका पुल हज़ारों की आबादी को लगातार जोड़ता है. सरकारी तंत्र की उपेक्षा का शिकार यह पुल चुनावी माहौल में क्या गुल खिलाएगा?
पिथौरागढ़. पहाड़ों में कनेक्टविटी आज भी बड़ा मुद्दा है. आंवलाघाट में एक अदद पुल बीते डेढ़ दशक से नहीं बन पाया है. पुल नहीं बनने से

पिथौरागढ़ के चार ब्लॉकों की हज़ारों की आबादी खासी मुश्किल में है. ऐसा तब है, जब मात्र एक पुल बनने से पर्यटन सर्किल भी तैयार हो सकता है. चुनावी साल में इस मुद्दे के गर्माने के भी खासे आसार दिख रहे हैं. अगर ऐसा हुआ तो पिथौरागढ़, डीडीहाट और गंगोलीहाट सीट की चुनावी हवा बदल सकती है. लेकिन इस पुल के लिए प्रशासन का रवैया वही है कि कागज़ी कार्रवाई की जा रही है तो विपक्षी पार्टी कांग्रेस आंदोलन खड़ा करने की बात कह रही है. चर्चा यही है कि चुनावी साल में यह पुल क्या गुल खिलाता है.
रामगंगा में 2006 में 80 मीटर का मोटरपुल स्वीकृत हुआ था, लेकिन डेढ़ दशक गुज़रने के बाद भी पुल वजूद में नहीं आ पाया. ये बात अलग है कि नदी के दोनों ओर रोड कट गई है, लेकिन पुल नहीं होने से ये रोड हज़ारों की आबादी के लिए सफेद हाथी साबित हो रही है. पुल के बनने से भैरंग और बाराबीसी पट्टी को तो फायदा होना ही है, साथ ही चंडिका घाट से लेकर पाताल भुवनेश्वर और हाट कालिका के बीच पर्यटन सर्किल तैयार हो सकेगा. पुल बनने से संभावित पर्यटन सर्किल रोज़गार के भी दरवाज़े खोलेगा.

पुल बन जाए तो पर्यटकों को होगी आसानी
यह पुल बन जाए तो सैलानी इस पर्यटन सर्किल को सिर्फ एक दिन में पूरा कर सकेंगे. इसके अलावा पिथौरागढ़ और गंगोलीहाट के बीच दूरी भी 35 किलोमीटर कम हो जाएगी. पर्यटकों के साथ ही यह पुल श्रद्धालुओं के लिए भी खास साबित हो सकता है. आंवलाघाट के करीब चंडिका मंदिर भी है. मंदिर के पुजारी चन्द्र बिष्ट बताते हैं कि 800 सालों की प्रसिद्धि के चलते मंदिर में देश भर के लोग आते हैं.
पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष और कांग्रेस नेता जगत खाती का कहना है कि वह पुल निर्माण को लेकर कई दफा अधिकारियों से कह चुके हैं, लेकिन रिजल्ट कुछ नहीं निकला. ‘अगर इसी तरह उपेक्षा जारी रही, तो तय है कि बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा.’ इधर, इस मामले में डीएम पिथौरागढ़ आशीष चौहान का कहना है कि पुल का एस्टीमेट बनाने के निर्देश पीडब्ल्यूडी को दिए गए हैं. एस्टीमेट तैयार होते ही शासन को भेजा जाएगा.

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