शरीर में इन 2 कमियों के कारण है पैरालिसिस अटैक, लकवे को रोकने के लिए तुरंत करें ये काम
पक्षाघात (स्ट्रोक) पक्षाघात तब लगता है जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे रक्त की आपूर्ति रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास की जगह में खून भर जाता है।
ॅपैरालिसिस या लकवा एक ऐसी स्थिति है, जो मुख्य दो कारणों से होती है। पैरालसिस होने की मुख्य वजह है तंत्रिका तंत्र की नसों में रुकावट और दूसरी धमनियों का ब्लॉक हो जाना। पैरालिसिस की स्थिति तब होती है जब हमारे शरीर के किसी खास अंग से मस्तिष्क तक सूचना पहुंचाने वाली तंत्रिका तंत्र की नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और वे मस्तिष्क को पर्याप्त सूचना नहीं पहुंचा पाती हैं, जिसके कारण लकवा हो सकता है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है जैसे किसी अंग के पास वाली नस दाब जाए या फिर क्षतिग्रस्त हो जाए तो भी आप पैरालिसिस का शिकार हो सकते हैं। दूसरा गंभीर कारण है कमर की नस। दरअसल हमारे हमारे शरीर के सभी अंगों की नसें कमर के आस-पास ही होती हैं और अगर कमर में गहरी चोट लग जाए तो कोई ना कोई अंग इस समस्या का शिकार हो सकता है। पैरालिसिस का तीसरा मुख्य केंद्र है मस्तिष्क। अगर हमारे मस्तिष्क के किसी खास भाग में चोट लग जाती है तो भी उससे जुड़ा अंग लकवा ग्रस्त हो सकता है। आइए जानते हैं कैसे पड़ता है लकवा और तुरंत किए जाने वाले ये उपचार।
पैरालिसिस होने के अन्य कारण
ऊपर दिए गए कारणों के अलावा रक्त वाहिनियों के फटने से भी कोई व्यक्ति लकवे जैसी समस्या का शिकार हो सकता है । इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि लकवा आमतौर पर हाई ब्लड प्रेशर रोगियों को अपना शिकार बनाता है। दरअसल हमारे शरीर के अंदर मौजूद धमनियां ज्यादा मोटी होती हैं जबकि हमारे मस्तिष्क के अंदर रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियां बहुत पतली और बारीक होती हैं। ब्लड प्रेशर में लगातार उतर चढ़ाव आने पर अक्सर ये रक्त वाहिनियां फट जाती हैं और व्यक्ति लकवे का शिकार हो जाता है। ऐसी स्थिति में कई बार व्यक्ति के शरीर के एक पूरा हिस्सा भी लकवाग्रस्त हो सकता है ।
किस स्थिति में ठीक नहीं हो पाता है मरीज
अगर किसी व्यक्ति को नसों से सम्बंधित लकवा मारा है तो उसके ठीक होने की संभावना रहती है। अगर नसें पुरी तरह से क्षतिग्रस्त नहीं हुई हैं और सिर्फ सिकुड़ी हैं तो भी दवाओं या फिर मालिश और गर्म सेंक के जरिए लकवा ठीक किया जा सकता है। हां, अगर लकवा धमनियों के क्षतिग्रस्त होने से हुआ है तो उसका ठीक होना बहुत ही मुश्किल है। इस स्थिति को सर्जरी से ही ठीक किया जा सकता है।
कितना वक्त लगता है ठीक होने में
अगर आपको तीन साल से ज्यादा का वक्त न हुआ हो तो आपके ठीक होने की संभावना ज्यादा है। अगर दिक्कत ज्यादा पुरानी है तो शायद आप पहले जैसे नहीं हो पाएंगे।
लकवे की स्थिति में तुरंत किए जाने वाले घरेलू उपचार
तिल का तेलः अगर व्यक्ति को लकवा मारा है तो तुरंत हल्का गर्म किए हुए तिल के तेल को एक बोतल गर्म पानी में डाल कर करीब 100 उस तक पिला दें। इस बात का ध्यान रखें कि बस बस एक बार ही पिलायें। उसके बाद लहसुन की एक-एक कली चबा-चबा कर खाने को कहें। आप रोगी को हल्के गर्म पानी में नींबू निचोङ कर इसका एनिमा भी पिला सकते हैं लें। खायें कुछ भी नहीं। ऐसा करने पर आपको तुरंत आराम मिलेगा और हालात ठीक हो जाएंगे।
लकवे को रोकने के लिए अन्य उपाय
रात में भोजन के बाद अरण्डी तेल गर्म दूध में मिलाकर पीने से भी लकवाग्रस्त हिस्से को ठीक करने में मदद मिलती है। अरण्डी तेल की मात्रा रोज बढायें ताकि पेट साफ होने लगे।