राज्य आन्दोलनकारियों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ भरी हुंकार ,कहा अब प्रदेश में जंगलराज कायम

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22 साल से प्रदेश में लूट मची हुई है अब भ्रष्टाचार का घड़ा भर चुका है । हर युवा की इच्छा होती है कि सरकारी नौकरी मिले ,परीक्षा के वक्त नेता व अधिकारियों की सांठगांठ से सरकारी नौकरी की बोली लगती है जो जितनी रकम अदा कर सकता है उसी हिसाब से बिना परीक्षा के नौकरी मिल जा रही है असली मेहनत जो बोली लगाने में सक्षम नहीं है ,अपनी मेहनत से परीक्षा दे रहे है वे सरकारी नौकरी पाने से वंचित रह जा रहे है । 2014 से अब तक जितनी भी परीक्षाएं हुई लाखों की बोली लगी यानि जो रात-दिन करके परीक्षा की तैयारी करके परीक्षा में बैठ रहे है और उन्हें पूर्ण उम्मीद रहती है कि वे सफलता हासिल कर करेगें लेकिन जब परिणाम घोषित होता है उनका नाम लिस्ट से गायब ,जिन्होने परीक्षा कोई तैयारी ही नहीं कि उनका नाम लिस्ट में सबसे आगे दिखाई देता है क्योकि उसने पहिले ही सरकारी नौकरी माफियाओं से सेंटिग कर ली ।
आज जिस तरह से यूकेएसएसएससी परीक्षा की घपले की गांठ खुलकर प्रदेश की जनता के सामने आ गई उससे प्रदेश की सरकार में बैठे नेता व अधिकारियों की कलई खुलकर सामने आ गई । हम राज्य आन्दोलनकारी तब तक लड़ते रहेगें जब तक भर्ती परीक्षाओं की सीबीआई जांच गठित न हो जाती है – विनोद घड़ियाल , अध्यक्ष संयुक्त उत्तराखंड राज्य आन्दोलन
कारी संघर्ष मोर्चा – काठगोदाम

हल्द्वानी । संयुक्त उत्तराखंड राज्य आन्दोलनकारी संघर्ष मोर्चा काठगोदाम के तत्वाधान में नगर निगम हल्द्वानी के सभागार में बैठक संपन्न हुई जिसमें प्रदेश में बढ़ते भ्रष्टाचार , भूभफियाओं का मकड़जाल, महिलाओं व युवाओं का उत्पीड़न ,पलायन ,मजबूत भू-कानून जैसे गंभीर मामलों पर विस्तार से चर्चा हुई ।

सभागार में भुवन चंन्द्र जोशी वरिष्ठ राज्य आन्दोलनकारी ने चिंता जाहिर की जिन मुद्दों के लिए राज्य आंदोलनकारियों ने अपना सर्वस्व न्योछावर किया, उनकी शहादत के दो दशक बाद भी ये मुद्दे जस के तस हैं. प्रदेश में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. पहाड़ों से लोग लगातार पलायन कर रहे हैं. बेरोजगारी का आंकड़ा दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. इतने साल बीतने के बाद भी जिस परिकल्पना के साथ एक अलग पहाड़ी राज्य बनाया गया था, वो परिकल्पना साकार नहीं हो पाई है. उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही दो राजनीतिक दल ही सत्ता पर बारी-बारी से काबिज हुए. दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने तरीके से राज्य में भ्रष्टाचार कायम रखा , लेकिन जिस परिकल्पना और सपने के साथ पहाड़ी राज्य की मांग की गई थी वह अभी तक पूरा नहीं हो पाया है जो भी राजनैतिक दल सत्ता में बैठी उस दल के नेताओं ने बड़े अधिकारियों से सांठगांठ करके प्रदेश को लूटा । आज हर वर्ग का युवा अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है ।
भुवन जोशी ने कहाकि हर परीक्षा में बोली लग रही है गरीब व मेहनत करने वाले छात्र को निराश होना पड़ रहा है क्योंकि पूरा सरकारी तंत्र सरकारी नौकरी माफियाओं मिलकर प्रदेश की जनता को लूट रहे है। उन्होनें कहा कि 2014 से अब तक की जितनी भर्ती परीक्षाएं संपन्न हुई है उनकी सीबीआई से जांच होनी चाहिए जबतक सीबीआई जांच गठित नहीं होगी तब तक लड़ाई लड़ते रहेगें । सितम्बर में राज्य आन्दोलनकारी सीबीआई जांच की मांग के लिए पैदल यात्रा करके सरकार को जगायेगें ।

वहीं विरेन्द्र बजेठा राज्य आन्दोलनकारी ने कहा कि पहाड़ी प्रदेश होने से यहां पर भौगोलिक आधार पर परिसीमन होना चाहिए था जो नहीं हुआ । आज स्थिति यह है कि जनसंख्या के आधार पर विधान सभाओं का गठन किया जा रहा है जिसे मैदानी क्षेत्र में विधान सभाएं बढते जा रहे है व पर्वतीय क्षेत्र में घटते जा रहे है जो सबसे बड़ा मुद्दा है उन्होनें कहा कि आजतक जो भी राजनैतिक दल सत्ता में आई, उसने पहाड़ की तरफ पीठ लगा दी । उन्होनें गैंरसैण राजधानी पर कहा कि कांग्रेस भाजपा ने मिलकर पहाड़ की जनता को ठगा लेकिन राज्य आन्दोलकारी गैंरसैंण राजधानी के लड़ाई लड़ते रहेगें ये तो दोनो पार्टियों के लिए वोट बैंक बना हुआ है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा ।
बजेठा ने जोर देकर कहा जो विधायक राज्य आन्दोलनकारी बनकर विधान सभा तक गये है कभी राज्य आन्दोलनकारियों व पहाड़ के हित की बात नहीं करते केवल अपने हित के लिए काम करते है। ।

वहीं मातृशक्ति भी इस बैठक में मौजूद थे उन्होनें भी कहा आज राज्य में महिलाओं को उपेक्षित समझ रहे है उनका सम्मान कहीं पर भी नहीं होता है जहां आरक्षण की बात आती है तो बाहरी प्रदेश की महिलाओं की बात को सुनी जाती है मूल उत्तराखंडी महिलाओं की उपेक्षा की जा रहा है। कई महिलाएं जो राज्य आन्दोलनकारी होने से वंचित रह गई है उनका फिर से चिन्हीकरण किया जाय ।

हुकुम सिंह कुंवर वरिष्ठ नेता जो हमेशा प्रदेश हित की बात करते है उन्होनें कहा कि प्रदेश में भू-कानून की लड़ाई लड़ी किसी भी दल ने (भाजपा कांग्रेस ) ने आजतक लागू नहीं हुआ उन्होनें भू-माफियाओं से मिलीभगत होने का आरोप लगाया । अगर हिमाचंल प्रदेश की भांति भू- कानून लागू होता तो आज पलायन नहीं के बराबर होता । आज पहाड़ बाहरी प्रदेश के अलग-अलग समुदायों का कब्जा बढ़ते जा रहा हैजो गंभीर चिंता का बिषय है।
इस मौके पर बृजेश सिजवाली ,हीरा सिंह ,अम्बादत्त जोशी ,देवकी राणा,भागीरथी देवी ,देवकी देवी ,पुष्पा देवी ,कांति जोशी,कमल विष्ट,जानकी कांडपाल,जानकी देवी वीरेन्द्र सिंह बजंेठा आदि कई राज्य आन्दोलनकारी मौजूद थे । मुख्य अतिथि भुवन चन्द्र जोशी ,हुकुम सिंह कुंवर थे

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