मल्ला दानपुर बदियाकोट के भगवती माता, आस्था का मंदिर ,16 साल बाद होगी आठों पूजा

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कपकोट के मल्लादानपुर क्षेत्र में स्थित बदियाकोट का भगवती मंदिर परंपरागत हिमालयी वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। पहाड़ में अब मंदिर अपनी परंपरागत शैली में नहीं बनाए जाते। मुख्यधारा के मंदिरों का प्रभाव ही दिखाई देता है

कपकोट (गजेन्द्र कपकोटी ) । बदियाकोट के आदि ब्रदी भगवती माता मंदिर में 24 अगस्त से आठों पूजा का आयोजन किया जाएगा। इन दिनों पूजा की तैयारियों के क्रम में क्षेत्र के 16 पट्टी के गांवों में आमंत्रण दिया जा रहा है। श्रद्धालु मां की छंतोली लेकर यात्रा निकाल रहे हैं। नंगे पाव गांव-गांव जाकर पूजा का प्रचार-प्रसार करने के साथ-साथ लोगों को आयोजन के लिए आमंत्रित किया जा रहा है।
भगवती मंदिर में आदिशक्ति की पूजा हर साल होती है लेकिन जात यात्रा के साथ आठों पूजा 12 साल में एक बार की जाती है। पिछली बार 2009 में पूजा हुई थी। हालांकि कोविड के कारण पूजा अपने समय पर नहीं हो सकी। इस आयोजन को भव्य बनाने के लिए पिछले नौ दिन से श्रद्धालु क्षेत्र के गांवों का भ्रमण कर रहे हैं। बृहस्पतिवार की रात को यात्रा मां बाराही मंदिर ऐठाण पहुंची।

कपकोट के मल्लादानपुर क्षेत्र में स्थित बदियाकोट का भगवती मंदिर परंपरागत हिमालयी वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। पहाड़ में अब मंदिर अपनी परंपरागत शैली में नहीं बनाए जाते। मुख्यधारा के मंदिरों का प्रभाव ही दिखाई देता है।

कपकोट के भगवती मंदिर पहुंचने पर यात्रा का स्वागत किया गया। जयकारों के साथ श्रद्धालुओं ने मंदिर में पूजा अर्चना की। कुछ देर के विश्राम के बाद यात्रा पोथिंग गांव के भगवती मंदिर के लिए रवाना हो गई। जहां यात्रा का रात्रि विश्राम स्थल है। यात्रा में शामिल शिव सिंह दानू ने बताया कि अगस्त में होने वाली आठ दिनी पूजा 31 अगस्त को भंडारे के साथ संपन्न होगी। वहां पर बदकोटी धामी बलवंत दानू, लाल सिंह दानू, ब्याली बाण उमेद सिंह दानू, छंतोली सेवक रघुवर सिंह, चंद्र शेखर जोशी रहे।बदियाकोट देवी मंदिर में श्रद्वालुओं की पूरी आस्था है इस मौके पर श्रद्वालुओं का शैलाब उमड़कर आता है लेकिन कोई मोटर मार्ग से आना चाहते है वे नहीं पंहुच पायेगें क्योंकि मोटर मार्ग चारों तरफ से बंद पड़ी है।

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