हरक सिंह रावत की उल्टी गितनी शुरू
देहरादून । हरक सिंह की कोटद्वार मेडिकल कॉलेज के बहाने असल लड़ाई तो टिकट की है। सीट बदल कर चुनाव लड़ने वाले हरक सिंह रावत एक बार नया ठिकाना चाह रहे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि हरक सिंह की ख्वाहिश केदारनाथ, लैंसडौन और डोईवाला से चुनाव लड़ने की है। हरक सिंह के ताजा दबाव को इन तीन विकल्पों में से एक विकल्प की चाह की परिणति माना जा रहा है। बिना तैयारी खेले गए दांव कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत पर ही उल्टे पड़ते आ रहे हैं।
कर्मकार बोर्ड हो या 100 यूनिट फ्री बिजली। कोटद्वार मेडिकल कॉलेज हो याऊर्जा कर्मचारियों को बार-बार दिए जा रहे आश्वासन। हर बार हरक की जुबान पार्टी की रीतियों-नीतियों के सामने फीकी पड़ी है।
पुष्कर सिंह धामी की सरकार में जैसे ही हरक सिंह रावत ऊर्जा मंत्री बने तो वह यूपीसीएल में अधिकारियों की बैठक लेने पहुंच गए। बैठक में उन्होंने निगमों के कामकाज की जानकारी लेने के साथ प्रदेश में 100 यूनिट तब बिजली बिल माफ, 200 यूनिट वालों के आधे बिल माफ करने की अहम घोषणा कर दी। घोषणा चर्चाओं में आ गई, लेकिन पार्टी की नीतियों के हिसाब से यह विवाद का कारण बन गई। इस घोषणा से पहले न तो हरक ने मुख्यमंत्री से कोई चर्चा की और न ही केंद्रीय नेतृत्व से कोई मशविरा। नतीजतन, प्रस्ताव तो बना लेकिन वह फाइलों में गुम होकर रह गया। सूत्रों के मुुताबिक, इस घोषणा पर केंद्रीय नेतृत्व से हरक को रुसवाई मिली। आखिरकार हरक खुद बैकफुट पर आ गए।
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2 कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज
दरअसल, केंद्र सरकार के नियम हैं कि एक जिले में एक ही सरकारी मेडिकल कॉलेज खुल सकता है। इन नियमों के बावजूद कोटद्वार में हरक ने मेडिकल कॉलेज खोलने की जिद की। अपनी इस जिद को पूरा करने के लिए त्रिवेंद्र कार्यकाल में उन्होंने श्रम विभाग के अधीन कर्मकार बोर्ड से ईएसआईसी को बतौर ऋण पैसा भी जारी करा दिया। उन्हें कर्मकार बोर्ड से हटाया गया तो उनकी यह जिद भी सामने आई। आखिरकार ईएसआईसी को वह पैसा लौटाना पड़ा। इसके बावजूद हरक जिद पर अड़े हुए हैं। वह कई बार केंद्रीय नेताओं से भी इस संबंध में वार्ता कर चुके हैं। हालांकि फिलहाल मुख्यमंत्री ने पांच करोड़ जारी करने पर कैबिनेट बैठक में मुहर तो लगा दी है लेकिन कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज बनेगा या नहीं, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
3- ऊर्जा कर्मचारियों की मांगें 15 दिन में पूरी होंगी
प्रदेश के तीनों ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर पहली बार अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी। बिजली व्यवस्था लड़खड़ाने लगी तो ऊर्जा मंत्री हरक ने कर्मचारी संगठनों के साथ बैठक की। बैठक में उन्होंने घोषणा की कि 15 दिन के भीतर निगमों के स्तर की सभी मांगें पूरी होंगी और एक माह के भीतर शासन स्तर की सभी मांगों पर सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा। हड़ताल खत्म हो गई। इसके बाद ऊर्जा कर्मचारी दो बार हड़ताल का नोटिस दे चुके हैं। उनकी मांगों पर अब तक ऊर्जा मंत्री हरक कोई ठोस निर्णय नहीं करा पाए हैं।
4 कर्मकार बोर्ड की योजनाओं पर सवाल
उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में बोर्ड अध्यक्ष रहते हुए हरक के लिए गए फैसले त्रिवेंद्र सरकार में काफी चर्चाओं में रहे। उन्हें बोर्ड से हटाया गया तो साइकिल आवंटन की बड़ी गड़बड़ी विवादों में आई। इसकी जांच भी शासन स्तर से बैठाई गई। सरकार असहज हुई। वहीं, कर्मकार बोर्ड में अन्य योजनाओं को लेकर भी जांच हुई। उनके बोर्ड के कार्यकाल और उनकी बयानबाजी के चलते हरक कई बार विवादों में आए और कमजोर होमवर्क उनके फैसलों में स्पष्ट रूप से झलकता दिखाई दिया। अब उनके दांव उल्टे पड़ने लगे है।