इस बार चुफाल के गढ़ डीडीहाट में बेहद रोचक होगा रण, मांग रहे है 25साल का हिसाब
डीडीहाट । पिथौरागढ़ जिले की डीडीहाट विधान सभा सीट सबसे अधिक चर्चाओं में है। लगातार पांच बार चुनाव जीतकर विधान सभा पहुंचने वाले भाजपा के दिग्गज नेता बिशन सिंह चुफाल छठी बार चुनावी रण में उतरे हैं। 2017 में प्रतिद्वंद्वी रहे कांग्रेस के प्रदीप पाल और निर्दलीय किशन सिंह भंडारी इस बार भी उनके सामने हैं। भाजपा प्रत्याशी चुफाल अब तक के कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों के साथ जनता के बीच हैं तो उनके दोनों प्रतिद्वंद्वी 25 वर्षों का हिसाब मांग रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का पैतृक गांव हड़खोला भी इसी विधानसभा क्षेत्र में है। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला सियासी संग्राम को बेहद रोचक बना रहा है।
आपको बता दें कि 1969 में गठित डीडीहाट विधानसभा में राज्य गठन से पहले बेड़ीनाग से लेकर मुनस्यारी और धारचूला तक का क्षेत्र शामिल था। तब यहां तीन बार कांग्रेस, एक बार जनता दल, दो बार यूकेडी और एक बार भाजपा रही। राज्य गठन के बाद इस विधान सभा सीट का परिसीमन हुआ और बड़ा हिस्सा धारचूला, कनालीछीना और कुछ क्षेत्र गंगोलीहाट में शामिल हो गया। 2012 में हुए परिसीमन में कनालीछीना विस क्षेत्र फिर से डीडीहाट विधान सभा में ही विलीन हो गया।
वर्तमान में डीडीहाट, कनालीछीना और मूनाकोट विकासखंडों से मिलकर बनी डीडीहाट विधान सभा सीट पिथौरागढ़, गंगोलीहाट और धारचूला तीनों विधान सभा क्षेत्रों तक फैली हुई है। विधान सभा सीट का पीपली से झूलाघाट तक का क्षेत्र नेपाल सीमा से लगा हुआ है। इस सीट पर 1996 (लगातार 25 वर्षों) से भाजपा के बिशन सिंह चुफाल काबिज हैं। ऐसे में डीडीहाट को भाजपा के गढ़ के रूप में देखा जाता है।
2017 में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोंकने वाले किशन सिंह भंडारी फिर से चुनाव मैदान में हैं। पिछले चुनावों में निर्दलीय किशन सिंह ने बिशन सिंह चुफाल को कड़ी टक्कर दी थी, जबकि कांग्रेस के प्रदीप पाल तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार भी तीनों चिर परिचित प्रतिद्वंद्वी मैदान में हैं।
बिशन सिंह चुफाल डीडीहाट, निर्दलीय किशन सिंह भंडारी कनालीछीना तो कांग्रेस के प्रदीप पाल अस्कोट क्षेत्र के रहने वाले हैं। हालांकि इस सीट पर कभी क्षेत्रवाद हावी नहीं रहा। वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का पैतृक गांव हड़खोला भी इसी विधान सभा क्षेत्र में आता है। मुख्यमंत्री बनने के बाद ही उनका पैतृक गांव सड़क से जुड़ा है। पांच बार से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे चुफाल और प्रदेश के सीएम पुष्कर सिंह धामी के पैतृक गांव में आने वाली इस विधान सभा सीट पर नतीजा क्या निकलेगा, इस पर सभी की नजरें टिकीं हुईं हैं।