बागेश्वर डिपो में बूढ़ी बसें दौड़कर यात्रियों की जान जोखिम में डाल रहे परिवहन निगम के अधिकारी

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बागेश्वर । अल्मोड़ा डिपों की तकनीकी रूप से खरीज हो चुकि बसों को बागेश्वर डिपों में भेजकर लम्बी रूटों में संचालन किया जा रहा है ,परिवहन निगम के अधिकरी व विधायक इन खस्ताहाल बसों का संचालन करके यात्रियों की जान जोखिम में डाल रहें है। अब तो क्षेत्र के लोगों ने इन खस्ताहाल बसों में सफर करना छोड़ दिया है, कहां कब आधे रास्ते में जंगल में खड़ी हो जाय कोई भरोसा नहीं है। यात्री हर बार परेशान हो जाते है सबसे ज्यादा तो महिला यात्रियों को फजीहत झेलनी पड़ती है। बागेश्वर विधान सभा की विधायक को कोई लेना देना नहीं है। बागेश्वर की जनता अब अपनी अपनी गलती मान रही है कि ऐसे विधायक को चुना जिसको जनता की परेशानी से कोई लेना देना नहीं है।

आपको बता दे कि बागेश्वर बस डिपों में अभी 15 बसों का संचालन हो रहा है जिसमें 12 बसें आये दिन खराब रहती है । पिछले सितम्बर माह में दो दिन से दिल्ली के लिए कोई बसें उपलब्ध नहीं थी जिसे दिल्ली जानें वाले यात्री भटकते रहे आखिर में वे टैक्सी बुक करके हल्द्वानी जाना पड़ा ।

मजाक बनकर रह गया बागेश्वर बस अड्डा

इस मामले को जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने गंभीरता से लिया और बागेश्वर डिपों का औचक निरीक्षण किया , निरीक्षण के दौरान बसें खड़ी मिली जो खराब हालत में थी इसके अलावा डिपों में कई खामियां मिली । आशीष भटगांई जिलाधिकारी ने डिपो प्रभारी गीता पांडे से सीघ्र बसों को ठीक कराने की व्यवस्था करें और तीन के भीतर अपनी रिपोर्ट भेजे ।

हाल यह है कि दिल्ली रूट की बसें आधे रास्ते में ही खराब होेकर खड़ी हो जा रही है, यात्री परेशान हो जा रहे है अधिकतर वे यात्री परेशान हो जा रहे जिनके साथ बच्चें सफर कर रहे होते है वे जाये तो कहां जायें बीच जंगल में खराब होकर खड़ी हो जाने से यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है ऐसे में अप्रिय घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है । इन सब समस्याओं को परिवहन अध्किारी अपनी मजबूरी बतातें है उन्हें उच्चस्तर से कोई सहयोग नहीं मिल पाता है।
अब देखना यह है किजिलाधिकारी का आदेश डिपों प्रभारी पर कितना असर पड़ता है।

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