दो बड़े हथियार, जो कंट्रोल करेंगे आने वाली कोरोना लहर को!

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नई दिल्ली, । आईसीएमआर-एनआईवी की निदेशक सुश्री प्रिया अब्राहम ने बताया कि साल 2021 मुश्किल साल था लेकिन हमने इस साल काफी कुछ पाया भी है। बच्चों के लिए कोवैक्सिन का ट्रायल किस स्टेज पर पहुंचा है और हम कब तक इस वैक्सीन के आ जाने की उम्मीद कर सकते हैं?
सुश्री प्रिया अब्राहम ने बताया कि इस वक्त, 2 से 18 साल के बच्चों के लिए कोवैक्सिन के फेज़-2 और 3 का ट्रायल चल रहा है। हमें उम्मीद है कि इनके परिणाम हमें जल्द मिल जाएंगे। इसके परिणाम रेगुलेटर्स को दे दिए जाएंगे। तो सितंबर या फिर अक्टूबर तक बच्चों के लिए कोविड-19 की वैक्सीन हमारे पास होगी। इसके अलावा ज़ाइडस केडिला की वैक्सीन का ट्रायल भी चल रहा है। ये भी बच्चों के काम आएगी और जल्द ही उपलब्ध होगी। ज़ाइडस केडिला पहली डीएनए वैक्सीन होगी जो इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी। भारत बायोटेक इंटरनैशनल लिमिटेड की इंट्रा-नेज़ल वैक्सीन भी आएगी, जो बेहद दिलचस्प होगी। इसे इंजेक्शन नहीं बल्कि सीधे नाक के ज़रिए दिया जाएगा।

सबसे पहली बात, डेल्टा-प्लस वैरिएंट की डेल्टा वैरिएंट की तुलना में फैलने की संभावना कम है। 130 देशों में ज़्यादातर मामले डेल्टा वैरिएंट के ही सामने आ रहे हैं। ये दुनियाभर में फैल चुका है और तेज़ी से संक्रमित भी करता है। जिन लोगों को वैक्सीन लग चुकी है, हमनें उनके शरीर में बनने वाली एंटीबॉडीज़ पर शोध किया और दूसरे वैरिएंट के खिलाफ इसकी जांच की। इस दौरान पाया गया कि इस वैरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी की प्रभावकारिता दो से तीन गुना कम हो गई। इसके बावजूद वैक्सीन आपको काफी हद तक बचा सकती है।संतरा खाएं यह हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है, साथ ही तनाव कम भी करता है।डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी की प्रभावकारिता कुछ कम ज़रूर हो रही है, लेकिन गंभीर संक्रमण से बचने के लिए वैक्सीन ज़रूरी है ताकि लोग अस्पताल में भर्ती होने से बचें, यहां तक कि मृत्यु से भी। इसलिए वैरिएंट चाहे जो भी हो, वैक्सीन आपको गंभीर संक्रमण से बचाएगी।
क्या आने वाले समय में हमें बूस्टर डोज़ की ज़रूरत पड़ेगी? क्या इस पर किसी तरह का शोध हो रहा है?
बूस्टर डोज़ पर बाहर के कई देशों में शोध चल रहा है और बूस्टर के लिए कम से कम 7 अलग-अलग तरह की वैक्सीन को आज़माया जा चुका है। फिलहाल जब तक सभी देशों तक वैक्सीन न पहुंच जाए, तब तक के लिए इस पर रोक लगाई है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उच्च आय और निम्न आय वाले देशों के बीच वैक्सीन का एक ख़तरनाक अंतर है। लेकिन, भविष्य में बूस्टर डोज़ लग सकती हैं।
डेंगू, चिकनगुनिया और ज़ीका वायरस जैसे वायरल इंफेक्शन जो मच्छर के काटने से फैलते हैं, मॉनसून में तेज़ी से फैलते हैं। घर के आसपास पानी का जमाव न होने दें, जिसमें मच्छर अंडे दे सकते हैं। मच्छरों के काटने से फैलने वाले इन संक्रमणों के साथ कोरोना का संक्रमण हो जाना स्थिति को और भी गंभीर बना सकता है।
शुगर कंट्रोल करना चाहते हैं तो मीठी, मैदा वाली चीजें और सॉफ्ट ड्रिंक्स से परहेज़ करें। निश्चित रूप से, यह एक बड़ी समस्या है, भीड़ का जमाव कर हम अगली लहर को श्आमंत्रितश् कर रहे हैं महामारी उस वक्त ख़त्म हो जाएगी, जब हम चाहेंगे। यह हमारे हाथ में है। इसका मतलब हमें सावधान रहना होगा। खासतौर पर आने वाले त्योहारों के सीज़न में, हमें भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचना होगा क्योंकि इन्हीं जगहों से वायरस फैलता है।
क्या ऐसा मुमकिन है कि अब लहर न आए?
नए वैरिएंट्स आते रहेंगे। हमारे पास दो हथियार हैं, जिनकी मदद से हम ख़ुद को सुरक्षित रख सकते हैं। ये हैं- अच्छी तरह मास्क पहनें और दूसरों को जल्द से जल्द वैक्सीन लगवाने के लिए प्रोत्साहित करें। इसके बाद अगर कोरोना की नई लहर आती भी है, तो वो इतनी ख़तरनाक साबित नहीं होगी।

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