उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी ,परिर्वतन रैली के जरिये 2022 में कामयाबी हासिल कर पायेगी
कांग्रेस संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी है। 2022 के लिए कांग्रेस आलाकमान ने गणेश गोदियाल को संगठन की कमान सौंपी है। पहली बार गोदियाल को अध्यक्ष पद मिला है। वहीं, कांग्रेस के दिग्गज व पूर्व सीएम हरीश रावत को चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दी है। पार्टी के सभी क्षत्रपों को संगठन में तवज्जो देकर चुनावी रणनीति में शामिल किया है। पार्टी के सभी पूर्व मंत्रियों, विधायक के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को संगठन में किसी न किसी रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई है ,ताकि 2022 के लिए अभेद चक्र तैयार किया जा रहा है यही भाजपा को मात देगी क्योंकि भाजपा ने केवल आजतक मुख्यमंत्री बदलने की योजनाएं बनायी, प्रदेश के विकास के लिए और जनता का हित नहीं देखा ।
हल्द्वानी । (नन्दा टाइम्स )कांग्रेस ने मिशन 2022 को लेकर शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विधानसभा सीट खटीमा से परिवर्तन यात्रा के जरिये चुनावी रणभेरी बजा दी। प्रचंड बहुमत के बावजूद राज्य में बार-बार नेतृत्व परिवर्तन और लोकायुक्त को मुद्दा बना रही कांग्रेस के सीधे निशाने पर केंद्र की मोदी सरकार एवं भाजपा है। कुमाऊं मंडल के तराई क्षेत्र के बाद हरिद्वार की सभी विधानसभा सीटों पर परिवर्तन यात्रा निकाली जाएगी। साथ में प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के सभी विधानसभा क्षेत्रों के दौरे के कार्यक्रम को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसे कांग्रेसी नई उम्मीद लेकर जाग गये है।
आपको बता दें कि राज्य में बेहद खराब दौर से गुजर रही कांग्रेस को उबारने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने पांच प्रदेश अध्यक्षों को मैदान में उतारकर नया प्रयोग किया है। वर्ष 2000 में भाजपा की अंतरिम सरकार के समय नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी ब्राह्मण नेता डॉ. इंदिरा हृदयेश को दी गई तो प्रदेश अध्यक्ष हरीश रावत बने। 2002 में कांग्रेस सत्ता में रही। 2007 में कांग्रेस विपक्ष में बैठी। तब नेता प्रतिपक्ष की कमान गढ़वाल के ठाकुर नेता डॉ. हरक सिंह रावत को सौंपी गई। कुमाऊं से प्रदेश अध्यक्ष हरीश रावत के बाद यशपाल आर्य को संगठन की कमान सौंपी गई। 2017 में कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह बनाए गए तो नेता प्रतिपक्ष की बागडोर डॉ. इंदिरा हृदयेश के हाथों में सौंपी गई। गढ़वाल और कुमाऊं के बीच संतुलन के साथ ही जातीय समीकरणों का पार्टी ने हमेशा ध्यान रखा, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्षों का नया इतिहास बना दिया। पार्टी के पांच-पांच अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने जहां क्षेत्रीय, जातीय और गुटीय समीकरण साधने का प्रयास तो किया। लेकिन साथ ही यह संदेश भी साफ हो गया कि पार्टी में किस हद तक खेमेबाजी है।
आगामी चुनाव से पहले कांग्रेस ने संगठनात्मक फेरबदल में हर खेमे को तरजीह देकर संतुलन साधने की कोशिश की है। कांग्रेस की नई टीम में हाईकमान ने पार्टी के क्षत्रपों को चुनावी रणनीति में शामिल किया है। आगामी चुनाव के लिए कांग्रेस से सीएम का चेहरा कौन होगा। इस पर संशय बरकरार है।
हालांकि कांग्रेस संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी है। 2022 के लिए कांग्रेस आलाकमान ने गणेश गोदियाल को संगठन की कमान सौंपी है। पहली बार गोदियाल को अध्यक्ष पद मिला है। वहीं, कांग्रेस के दिग्गज व पूर्व सीएम हरीश रावत को चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दी है। पार्टी के सभी क्षत्रपों को संगठन में तवज्जो देकर चुनावी रणनीति में शामिल किया है। पार्टी के सभी पूर्व मंत्रियों, विधायक के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को संगठन में किसी न किसी रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई है।
संगठनात्मक फेरबदल में पार्टी हाईकमान ने हर खेमे को तरजीह देख कर संतुलन साधा है। लेकिन कांग्रेस ने चुनावी चेहरा तय नहीं किया है। भाजपा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को 2022 के लिए चुनाव चेहरा घोषित किया है। वहीं, आम आदमी पार्टी से कर्नल अजय कोठियाल सीएम का चेहरा होंगे। वर्ष 2016 में जब हरीश रावत सरकार के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस के कुछ विधायकों ने बगावत की थी, उस समय पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए गणेश गोदियाल के पास भी इस बगावत में शामिल होने का ऑफर था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
आज गणेश गोदियाल को कांग्रेस पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कहीं न कहीं उसी का इनाम मिला है। चुनावी वर्ष में मिली इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए उनके सामने पार्टी के दिग्गजों को संभालने की चुनौती रहेगी। उत्तराखंड कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेय के निधन के बाद नए नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा के बाद आखिरकार पूरे मामले का पटापेक्ष हो गया। नई कमेटियों में जितने भी नामों की घोषणा की गई है, उनमें क्षेत्रीय संतुलन साधने के साथ जातीय समीकरण और पार्टी में गुटबाजी न हो, इसका पूरा ध्यान रखा गया है। इसके बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। जैसा की संभावना जताई जा रही थी कि चुनाव संचालन समिति की कमान हरीश रावत को सौंपी जा सकती है। ठीक वैसा ही हुआ। इसे पंजाब कांग्रेस में उपजे विवाद को सुलझाने के इनाम की तौर पर देखा जा रहा है।
भाजपा सरकार के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर कांग्रेस का पंच यानी पांच प्रदेश अध्यक्षों का प्रयोग कितना प्रभावी होगा? भाजपा ने युवा नेतृत्व 60 प्लस का नारा देकर पहले ही साफ कर दिया है कि पार्टी मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में चुनाव में जाएगी। धामी की टक्कर में कांग्रेस ने सियासत के महारथी हरीश रावत को चुनाव अभियान समिति की कमान सौंपी है। सियासी जानकारों का मानना है कि चुनावी रथ की कमान हरीश रावत को देकर पार्टी ने एक तरह से उनके चेहरे पर चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है। हालांकि पार्टी में हरीश रावत के विरोधी के खेमे के नेता इस तर्क से सहमत नहीं हैं और वे यही कह रहे हैं कि पार्टी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी।( आर0 एस0 गढ़िया)