उत्तराखंड कांग्रेस में दरार, हरीश रावत के करीबी विधायक भाजपा में शामिल होने की चर्चा हुई तेज
कांग्रेस महासचिव हरीश रावत के करीबी माने जाने वाले हरीश धामी ने कहा कि मैं विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए उपयुक्त था लेकिन इस बार भी मेरी उपेक्षा ही की गयी,कब कांग्रेस को छोड़ भाजपा में शामिल होने के लिए पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात हुई ।
हाल में उत्तराखंड (Uttarakhand) कांग्रेस अध्यक्ष सहित कई पदों पर नियुक्ति से पार्टी के कई नेताओं की नाराजगी की खबरों के बीच धारचूला से लगातार तीसरी बार विधायक बने हरीश धामी ने बुधवार को कहा कि पार्टी ने उनकी हमेशा अनदेखी की है.
कांग्रेस हाईकमान ने रविवार को पूर्व विधायक करण माहरा को प्रदेश इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया, जबकि विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर पार्टी में फिर शामिल हुए यशपाल आर्य को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और खटीमा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पटखनी देकर पहली बार विधायक बने भुवन चंद्र कापडी को राज्य विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष बनाया है. इस पर टिप्पणी करते हुए हरीश धामी ने आरोप लगाया कि इन नियुक्तियों में मेधा का कोई ध्यान नहीं रखा गया
कांग्रेस महासचिव हरीश रावत के करीबी माने जाने वाले हरीश धामी ने कहा कि मैं विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए उपयुक्त था लेकिन इस बार भी मेरी उपेक्षा ही की गयी. उत्तराखंड मामलों के पार्टी प्रभारी कांग्रेस महासचिव देवेंद्र यादव द्वारा मेधा को नियुक्तियों का आधार बताए जाने संबंधी बयान पर निशाने पर लेते हुए हरीश धामी ने पूछा कि सालों से पार्टी का झंडा उठाने वालों पर पहली बार विधायक बने लोगों को तरजीह देना क्या मेधा कहलाता है.
हरीश धामी ने कहा कि वह एक फौजी के परिवार में पैदा हुए हैं जिसने 1971 के भारत-पाक युद्ध में अपनी दोनों टांगें गंवा दी थीं. उन्होंने पूछा कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों के दौरान सैन्यकर्मियों के लिए सम्मान दर्शाया था. अब उसका क्या हुआ ? हांलांकि, उन्होंने कहा कि करण माहरा, यशपाल आर्य या भुवन कापडी के खिलाफ उनके मन में कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है.