उत्तराखंड सरकार बोर्ड में लगे आरोपों पर पर्दा डालने का काम कर रही है : हरीश रावत
क्या सत्याल के आरोप गलत सिद्ध हुए? यदि ऐसा कुछ नहीं हुआ है तो भाजपा की वर्तमान सरकार को या तो उन आरोपों की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से करनी चाहिए।
देहरादून । उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कर्मकार बोर्ड में लगे आरोपों को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि बोर्ड में लगे आरोप क्या प्रदेश भाजपा सरकार को शर्मसार नहीं करते? उन्होंने बोर्ड में लगे आरोपों की जांच एसआईटी या विधानसभा समिति से कराने की मांग उठाई है।
उन्होंने कहा कि बोर्ड के अध्यक्ष के सत्याल ने अपनी ही सरकार के मंत्री पर गंभीर आरोप लगाए हैं। यदि उनके आरोप गलत हैं तो पार्टी को सत्याल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। यदि पार्टी जांच या कार्रवाई नहीं करती है तो साफ है कि केंद्र सरकार की शह पर सरकार बोर्ड में लगे आरोपों पर पर्दा डालने का काम कर रही है।
मजदूरों का हक मारकर कमीशन डकारने वालों को संरक्षण दे रही है।
हरीश रावत ने कहा कि मेरी सरकार ने अभियान चलाकर दो लाख से ज्यादा श्रमिकों को पंजीकृत किया। लगभग 500 करोड़ रुपया इस कोष में एकत्र किया। जिसमें से 200 करोड़ रुपये तत्कालीन बोर्ड ने विभिन्न योजनाओं में खर्च किया। जिनमें श्रमिकों को कई तरीके की सुविधाएं, भवन व मकान निर्माण के लिए, साइकिल आदि खरीदने के लिए, चिकित्सा व बच्चों के विवाह आदि के लिए अनुदान की राशि के रूप में दिए गए। एक बड़ी राशि इस कोष में अवशेष थी। एक बार जब कोष इकट्ठा करने का विधान बन गया तो लगातार कोष में वृद्धि भी होती गई। उन्होंने अखबारों की खबरों के आधार पर कहा कि घटिया साइकिलें, घटिया सामग्री खरीदी गई।उससे और गंभीर आरोप बोर्ड के अध्यक्ष सत्याल ने लगाए हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने भी उस पर जांच आदि की बात कही। अब एक घटनाक्रम के तहत सत्याल को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है तो क्या कर्मकार बोर्ड में कोई घोटाले की यहीं पर इतिश्री मान ली जाए? क्या सत्याल के आरोप गलत सिद्ध हुए? यदि ऐसा कुछ नहीं हुआ है तो भाजपा की वर्तमान सरकार को या तो उन आरोपों की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से करनी चाहिए।
श्रम एवं ऊर्जा मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने लगाये अपनी ही सरकार पर गंभीर आरोप
देहरादून । श्रम एवं ऊर्जा मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि कर्मकार बोर्ड के पुनर्गठन से अध्यक्ष पद से हटाए गए शमशेर सिंह सत्याल कोर्ट गए तो मुख्यमंत्री और पार्टी संगठन को देखना चाहिए। इसमें वे (हरक सिंह) कुछ नहीं कर सकता है। कोर्ट जाने का अधिकार सबका है। लेकिन सरकार ने ही सत्याल को अध्यक्ष पद नामित किया और सरकार ने ही बोर्ड का पुनर्गठन किया।
शनिवार को ऊर्जा भवन में आयोजित कार्यक्रम में मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में श्रम एवं ऊर्जा मंत्री ने कहा कि मैंने सत्याल के खिलाफ कुछ नहीं कहा है। बोर्ड में जहां गलत हुआ है, उस पर मैंने बोल था। प्रदेश में पार्टी की सरकार है। पूर्व में सरकार ने सत्याल को बोर्ड अध्यक्ष पद नामित किया। सत्याल इस पद पर चुनाव जीत कर या परीक्षा पास कर नहीं आए हैं। अब सरकार ने बोर्ड का पुर्नगठन किया है। ऐसे में सरकार के फैसले के खिलाफ सत्याल कोर्ट गए तो इस पर मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को देखना चाहिए।