उत्तराखंड: बैठकों में चाय, लंच,खातिरदारी बंद! वित्तीय संकट से जूझ रहा है उत्तराखंड
देहरादून. वित्तीय संकट से जूझने वाले उत्तराखंड की मदद के स्रोत जब बंद हो रहे हैं, तो राज्य को फ़िजूलखर्ची पर लगाम लगाने के तरीकों की याद आ रही है. सरकारी विभागों में प्रशासनिक स्तर की बैठकें बेहद खर्चीली हैं क्योंकि अमूमन ये प्राइवेट होटलों में होती हैं और फिर स्वागत, सत्कार और स्वल्पाहार के नाम पर एक बड़ी रकम खर्च हो जाती है. अब उत्तराखंड सरकार इन तौर तरीकों को फिज़ूलखर्ची मानकर इन्हें बंद करने की हिदायत दे रही है, तो जानकार यह भी कह रहे हैं कि आखिर फिज़िकली बैठकों की ज़रूरत ही क्या है, जब ऑनलाइन मीटिंग का विकल्प उपलब्ध है ।
उत्तराखंड में प्रशासनिक सुधार की प्रक्रिया जारी है. पहले निर्देश दिए गए थे कि समय पर ऑफिस आएं, विभागीय मीटिंगों में सहायकों को साथ लाने के बजाय अफसर पूरी तैयारी के साथ पहुंचें. और अब चीफ सेक्रेटरी एसएस संधू ने आधिकारिक बैठकों में बुके, फूलमाला, मेमेंटो, चाय-पानी की परंपरा खत्म कर सीधे एजेंडा डिस्कस करने के निर्देश दिए हैं. पुष्कर सिंह धामी की नयी सरकार खर्चे कम करने के लिए सरकारी कार्यक्रमों के प्राइवेट होटलों में आयोजन पर भी रोक लगा चुकी है.
इन सरकारी निर्देशों के बीच सवाल ये भी उठने लगे हैं कि आईटी युग में ऑनलाइन मीटिंग ही क्यों नहीं अपना ली जाती! पैंसे के साथ समय की बचत के इस विकल्प पर फॉरेस्ट चीफ रह चुके पूर्व आईएफएस आरबीएस रावत कहते हैं कि फिजीकल मीटिंग जरूरी होने पर सिर्फ चुनिंदा अफसरों को बुलाने का पैटर्न बनाया जाना चाहिए. रावत कहते हैं कि तकनीक का प्रयोग कर व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त कर पैसा और समय दोनों बचाए जा सकते हैं. आईटी एक्सपर्ट भी मानते हैं कि आज के दौर में ऑनलाइन बैठकें सबसे शानदार विकल्प हैं.