उत्तराखंड : सरकारी नौकरियों में गड़बड़ी पर मचा घमसान, मंत्रियों के कारीबियों को दी गई नौकरी

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प्रदेश के युवाओं की मांग है कि उत्तराखंड में 2014 से अब तक की भर्तियों की सीबीआई जांच हो

देहरादून । उत्तराखंड विधानसभा में भर्तियों के घपले को लेकर पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह आज मंगलवार को बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। भर्तियों में गड़बड़ी के आरोपों ने इस बार उत्तराखंड विधानसभा को बदनाम कर दिया है क्योंकि जहां कानून बनते हैं वहीं नियमों की धज्जियां उड़ती दिख रही हैं. अब सिस्टम सुधारने की मांग उठने लगी है.
देहरादून. उत्तराखंड में विधानसभा की खासी किरकिरी हो रही है क्योंकि यहां हुई भर्तियों में भाई-भतीजावाद वाली रेवड़ियां बांटने के बड़े आरोप लगे हैं और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अपने ही बयान पर फंस गए हैं. लगातार दूसरी बार राज्य में सरकार बनाने वाली भाजपा इन भर्तियों को लेकर घिरती भी दिख रही है क्योंकि कांग्रेस ही नहीं, अन्य विपक्षी पार्टियां मोर्चा खोल रही हैं. इधर मौजूदा कैबिनेट मंत्री और पिछली सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहे प्रेमचंद्र अग्रवाल ने मंत्रियों के करीबियों को नौकरी दिए जाने की बात कबूल कर ली, तो इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सिस्टम सुधारने का बयान जारी करना पड़ा. पूर्व मुख्यमंत्रियों ने भी इस मामले में खुलकर बोलने से परहेज़ नहीं किया है.

उत्तराखंड में पटवारी भर्ती की सीबीआई जांच हो

पिछली बीजेपी सरकार के पूर्व स्पीकर प्रेमचंद्र अग्रवाल हैं, जिन्होंने विधानसभा में मंत्रियों के करीबियों को नौकरी दिए जाने की बात मान ली, लेकिन भ्रष्टाचार से इनकार किया. अब सवाल है कि विधानसभा में विवादों में घिरी इन 72 भर्तियों की जांच कब शुरू होगी और इनका भविष्य क्या होगा? यह फैसला अब मौजूदा स्पीकर ऋतु खंडूरी को लेना है. अब भविष्य में कोई स्पीकर भाई-भतीजावाद की मौज न ले सके, इसके लिए फुल प्रूफ सिस्टम की मांग उठने लगी है तो इस सीएम धामी ने भरोसा दिलाया है कि विधानसभा के लिए ऐसा सिस्टम तैयार किया जाएगा ताकि भर्तियां नियम के तहत ही हों.

उत्तराखंड विधान सभा से लेकर सभी विभागों में भाई – भतीजावाद चल रहा है । मंत्री , अधिकारी व दलालों के बीच बेरोजगार ,दिन-रात मेहनत करने वाले परीक्षार्थी निराश है । प्रदेश के युवा इस जंगलराज से परेशान है । लोगों का कहना है कि भाजपा ने भी भ्रष्टाचार में डूबकी लगाई है।


क्या कह रहे हैं दो पूर्व मुख्यमंत्री?

पिछली भाजपा सरकार में करीब चार साल मुख्यमंत्री रहने वाले त्रिवेंद्र रावत का कहना है ‘नेता जनता के प्रतिनिधि हैं, परिवार के नहीं. यह बात प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से सीखनी चाहिए. और पारदर्शिता सिर्फ कहने को नहीं होनी चाहिए, बल्कि पारदर्शिता दिखनी भी चाहिए.’ वहीं, कांग्रेस सरकार में सीएम रहे हरीश रावत ने कहा, ‘प्रेमचंद्र अग्रवाल ने अपनी ही सरकार के फैसले को पलटा? जब त्रिवेंद्र रावत ने आयोग से एग्जाम की बात कही तो नौकरी कैसे दी गई? भर्तियां अवैध हैं तो उन्हें रद्द करना चाहिए क्योंकि इनमें नैतिक बल नहीं है.’

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